चीन (China) ने बुधवार को ताइवान (Taiwan) पर बड़ा बयान दिया है। उसने कहा है कि उसे इस बात का पूरा भरोसा है कि एक दिन ताइवान उसकी सीमा में आएगा और वह धैर्य के साथ उस दिन का इंतजार करेगा। चीन की तरफ से यह बयान अमेरिका की तरफ से दी गई धमकी के बाद आया है।
बीजिंग: चीन ने ताइवान के प्रति अपने रुख को नरम करते हुए बुधवार को कहा कि स्वशासित द्वीप का चीन के अधीन आना निश्चित है लेकिन वह इसे शांतिपूर्ण तरीके से करने का प्रयास करेगा। अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल में बयान दिया था कि अगर चीन, ताइवान पर हमला करता है तो उनका देश स्वशासित द्वीप की रक्षा करेगा। एक दिन पहले ही अमेरिकी और कनाड के युद्धपोत ताइवान जलडमरु मध्य से गुजरे थे, जिसके बाद चीन की ओर से यह बयान आया है।
ताइवान को लेकर गंभीर चीन
चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल करने को लेकर बढ़ रही चिंता के बारे में पूछे जाने पर ताइवान मामले के सरकारी प्रवक्ता मा शिआओगुआंग ने कहा, ‘मैं दोहराना चाहता हूं… हम पूरी गंभीरता और ईमानदारी से शांतिपूर्ण एकीकरण की कोशिश करने के इच्छुक हैं।’ वर्ष 1949 के गृहयुद्ध में चीन और ताइवान अलग हो गए थे एवं मुख्य भूमि पर कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा हो गया था जबकि ताइवान पर प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रवादियों ने अपनी सरकार बनाई।
पहली बार बदला रुख
ताइवान मुद्दे पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान मा ने अपने जवाब में ताकत शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, जैसा कि पूर्व में वह कहते थे। उन्होंने कहा कि ताइवान या उसके अंतरराष्ट्रीय समर्थकों द्वारा किसी उकसावे की कार्रवाई करने पर चीन ‘ठोस कदम’ उठाएगा। मा ने कहा कि चीन ताइवान की मदद करने के लिए और नीतियों को लागू करेगा, चीन के साथ एकीकरण के लाभ को रेखांकित करेगा और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा, ‘मातृभूमि को एकीकृत होनी चाहिए और (यह)निश्चित तौर पर एकीकृत होगी। यह ऐतिहासिक परिपाटी है, जिसे कोई रोक नहीं सकता।’
लगातार आक्रामकता का प्रदर्शन
अगस्त में ताइवान ने एक सर्वे कराया था। इसमें दो तिहाई लोगों ने चीन को अपना दुश्मन करार दिया था। दो दशक में यह संख्या सर्वाधिक थी। अगस्त के पहले हफ्ते में अमेरिका की नंबर दो नेता और अमेरिकी कांग्रेस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर गई थीं। इसके बाद से ही चीन और ताइवान के बीच तनाव बरकरार है। पेलोसी, 25 सालों में ताइवान पहुंचने वाली पहली अमेरिकी नेता हैं। इसके बाद चीन का रुख काफी आक्रामक हो गया था। असाधारण तौर पर मिलिट्री ड्रिल का आयोजन किया गया और बैलेस्टिक मिसाइलों को ताइवान के ऊपर से गुजारा गया था।