पाकिस्तान में चीन का प्रभुत्व इतना बढ़ गया है कि इस्लामाबाद न केवल वित्तीय बल्कि सैन्य और राजनयिक समर्थन के लिए भी चीन पर निर्भर है। यही कारण है कि चीन ने पाकिस्तान पर उन सैन्य चौकियों के निर्माण की अनुमति देने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया है जहां वह अपने सशस्त्र सैनिकों को तैनात करेगा।
इस्लामाबाद: श्रीलंका में खुफिया जहाज खड़ा करने के बाद चीन अब पाकिस्तान में सेना तैनात करने जा रहा है। चीनी सेना बेहद महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की सुरक्षा के लिए तैनात होगी। इन सैनिकों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान महत्वपूर्ण चीनी निवेश को बचाने के लिए विशेष रूप से बनाई गई चौकियों में तैनात किया जाएगा। चीन, पाकिस्तान-अफगानिस्तान के जरिए मध्य एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करने का इच्छुक है। यही कारण है कि उसने बड़े पैमाने पर दोनों देशों में रणनीतिक निवेश किया है। पाकिस्तान में चीन ने 60 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। वहीं, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को भी चीन ने भारी मात्रा में कर्ज मुहैया करवाया है।
पाकिस्तान पर दवाब बना रहा चीन
पाकिस्तान में चीन का प्रभुत्व इतना बढ़ गया है कि इस्लामाबाद न केवल वित्तीय बल्कि सैन्य और राजनयिक समर्थन के लिए भी चीन पर निर्भर है। यही कारण है कि चीन ने पाकिस्तान पर उन सैन्य चौकियों के निर्माण की अनुमति देने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया है जहां वह अपने सशस्त्र सैनिकों को तैनात करेगा। इस मुद्दे को लेकर पाकिस्तान में असंतोष बढ़ने के कारण शहबाज शरीफ सरकार चीन को आसानी से अनुमति देने के मूड में नहीं है। दूसरी ओर पाकिस्तान को अमेरिका के प्रभाव वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भी बेलआउट पैकेज की दरकार है। ऐसे में शहबाज शरीफ नहीं चाहते हैं कि वो अमेरिका को नाराज होने का कोई मौका दें।
शहबाज शरीफ के साथ चीनी राजदूत ने की बैठक
इस्लामाबाद में शीर्ष राजनयिक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सैन्य चौकियों की स्थापना के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। चीन का मानना है कि इससे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटि के सुचारू संचालन और विस्तार को लाभ पहुंचेगा। एक राजनयिक सूत्र के अनुसार, चीनी राजदूत नोंग रोंग ने इस संबंध में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ बैठकें की हैं। राजदूत रोंग इस साल मार्च 2022 के अंत से पाकिस्तान में नहीं थे, वह हाल ही में इस्लामाबाद आए हैं।
पाकिस्तान से अपने निवेश की सुरक्षा गारंटी मांग रहा चीन
हालांकि, जिस बैठक में उन्होंने चीनी सेना के लिए चौकियों के निर्माण की मांग की, वह शायद पाकिस्तान नई सरकार के साथ राजदूत रोंग की पहली औपचारिक बैठक थी। सूत्र ने बताया कि चीनी राजदूत लगातार चीनी परियोजनाओं की सुरक्षा और अपने नागरिकों की सुरक्षा पर जोर देते रहे हैं। चीन पहले ही ग्वादर में सुरक्षा चौकियों की मांग कर चुका है। चीन यह भी चाहता है कि ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को उसके लड़ाकू विमानों के इस्तेमाल के लिए भी अनुमति दी जाए। एक दूसरे सूत्र ने बताया कि ग्वादर एयरपोर्ट के बाड़ से पता चलता है कि जल्द ही इसका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
पाकिस्तान के लिए आगे कुआं पीछे खाई जैसी स्थिति
पाकिस्तान सरकार यह जानती है कि चीन को सैन्य इस्तेमाल की मंजूरी देना संवेदनशील मुद्दा है। पाकिस्तान की अवाम अपने देश में चीनी सैनिकों की उपस्थिति का विरोध कर सकते हैं। ऐसे में लोगों के बीच यह संदेश जा सकता है कि पाकिस्तान अब चीन का आर्थिक उपनिवेश बन गया है। यही कारण है कि पाकिस्तान वर्तमान में अधर में लटका हुआ है। अगर वह मंजूरी देता है तो अवाम भड़क सकती है और अगर नहीं देगा तो चीन अपने कर्ज को वापस मांग सकता है। दोनों ही सूरत में पाकिस्तानी सरकार का फंसना तय है।