एससीओ में ईरान को साथ लाकर चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका, यूरोप के खिलाफ चल दी है बड़ी चाल

चीन के राष्‍ट्रपति शी जिन‍पिंग (Chinese President Xi Jinping) कोविड-19 महामारी के बाद विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। जिनपिंग, 15 सितंबर से उज्‍बेकिस्‍तान (Uzbekistan) के समरकंद में आयोजित होने वाले शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) में शामिल होंगे। वहीं इस दौरान अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति की भी एक नई तस्‍वीर देखने को मिल सकती है।

Chinese President Xi Jinping visits Kazakhstan

बीजिंग: चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग उज्‍बेकिस्‍तान से पहले कजाखस्‍तान पहुंचे हैं। दो साल बाद वह किसी देश की यात्रा पर हैं। उज्‍बेकिस्‍तान के समरकंद में 15 सितंबर यानी गुरुवार से शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) सम्‍मेलन का आयोजन होने वाला है। चीन के विदेश मंत्रालय की मानें तो इस सम्‍मेलन के दौरान चीन, रूस, भारत और मध्‍य एशिया के नेता दो दिनों तक एक साथ होंगे। इस दौरान कई मसलों पर चर्चा होगी। चीन की मानें तो इस सम्‍मेलन का संगठन के सदस्‍यों को एक साथ लाना है। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो इस दौरान पश्चिमी देशों के खिलाफ एक नई शक्ति देखने को मिल सकती है। वो इसे नया शीत युद्ध ब्‍लॉक तक करार दे रहे हैं।

सऊदी अरब होगा शामिल
रूस की तरफ से पहले ही कह दिया गया है कि राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग के दौरान दोनों नेता यूक्रेन के हालातों पर बातचीत कर सकते हैं। इस साल चार फरवरी को भी दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। इस मीटिंग के 22 दिन बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। इस बार का एससीओ सम्‍मेलन ऊर्जा सहयोग पर आधारित होगा। ईरान को जहां इस बार पूर्ण सदस्‍यता मिल जाएगी तो वहीं इजिप्‍ट, कतर और सऊदी अरब वार्ता साझीदार बनेंगे।

ईरान पर खासा जोर
चीन की मीडिया की मानें तो चीनी सरकार चाहती है कि ईरान और रूस से गैस और तेल का निर्यात बढ़े। इन दोनों ही देशों पर इस पश्चिमी प्रतिबंध लगे हुए हैं। अगस्‍त की शुरुआत में अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया की तरफ से कहा गया था कि जिनपिंग, अगस्‍त माह के मध्‍य में सऊदी अरब का दौरा कर सकते हैं। लेकिन चीनी राष्‍ट्रपति का यह दौरा हो नहीं पाया। उनकी सरकार की तरफ से ‘जीरो कोविड’ के तहत कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए थे। चीन के कई शहरों में लॉकडाउन लगा हुआ था।

12 सितंबर को न्‍यूज एजेंसी शिन्‍हुआ की तरफ से कहा गया है कि जिनपिंग दो मध्‍य एशियाई देशों का दौरा कर रहे हैं। इससे साफ पता चलता है कि चीन की अगुवाई में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है और देशों की तरफ से समुदाय निर्माण का वह सफर शुरू हो रहा है जिसमें मानवता का भविष्‍य छिपा है। शिन्‍हुआ की मानें तो जिनपिंग और दूसरे नेता सम्‍मेलन में इस पर चर्चा कर सकते हैं वैश्विक चुनौतियों से कैसे निबटा जाए। साथ ही कैसे सुरक्षा और विकास को आगे बढ़ाया जाए।


तो यह है आइडिया

देखा जाए तो मध्‍य एशिया में कई देश हैं जहां पर चीन ने भारी-भरकम निवेश किया है। साथ ही कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जो रूस के प्रभाव में रह चुके हैं। साल 2013 और 2016 में शी जिनपिंग ने उज्‍बेकिस्‍तान का दौरा किया था। इस दौरान चीन के साथ उसके रिश्‍ते और बढ़े। साथ 2016 में ही आंग्रेन-पैप रेलवे लाइन का संचालन शुरू हुआ था। यह रेलवे लाइन उज्‍बेकिस्‍तान के ताशकंद से किर्गिस्‍तान होती हुई चीन के काश्‍गर तक जाती है। चीन ने हाल ही में फेंशेंग इंडस्‍ट्रीयल पार्क और मिंग युआन सिलू कॉर्प के नाम से कई प्रोजेक्‍ट्स शुरू किए हैं। साथ ही उज्‍बेकिस्‍तान में एक डीप प्रोसेसिंग फैसिलिटी की शुरुआत हुई है।

एससीओ वह मंच है जहां पर चीन अपने हितों को सफल करा सकता है। पिछले वर्ष ईरान को एससीओ में पूर्ण सदस्‍यता देने का ऐलान किया था। ईरान पर लगे प्रतिबंधों के बावजदू यह ऐलान हुआ था। हालांकि ईरान को आज भी उम्‍मीद है कि जिस समय यूरोप एक बड़े ऊर्जा संकट से गुजर रहा है, उसके हाथ एक बड़ी डील लग सकती है। कहीं न कहीं चीन, ईरान को साथ लाकर उसके जरिए पश्चिमी देशों को तगड़ा जवाब देने की तैयारी कर चुका है।