Chinese Vessel in Sri Lanka : ‘हंबनटोटा का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं होने देंगे’, चीन की बढ़ती दखल पर क्या भारत-अमेरिका को सफाई दे रहे विक्रमसिंघे?

India Sri Lanka Relations : विक्रमसिंघे ने चीन के साथ कुछ हद तक संबंध बनाए रखने के अपने रुख का संकेत देते हुए कहा, ‘मौजूदा जहाज सैन्य श्रेणी में नहीं आता। (यह) एक अनुसंधान पोत की श्रेणी में आता है। इसलिए (हमने) जहाज को हंबनटोटा आने की अनुमति दी।’

Chinese navy ship docks in Sri Lanka
श्रीलंकाई बंदरगाह पर चीन का जहाज

कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि चीन को दक्षिणी हंबनटोटा बंदरगाह का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विक्रमसिंघे ने यह बयान परोक्ष तौर पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री उपस्थिति के बारे में भारत और अमेरिका में आशंकाओं को दूर करने के प्रयास के तहत दिया। विक्रमसिंघे ने यह बात एक उच्च तकनीक वाले चीनी अनुसंधान जहाज के आगमन से पहले कही, जो मंगलवार को हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा। चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह श्रीलंका से 2017 में कर्ज के बदले 99 साल के पट्टे पर लिया था।

विक्रमसिंघे ने रविवार को कोलंबो में राष्ट्रपति भवन में अखबार ‘योमीउरी शिंबुन’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘हम नहीं चाहते कि हंबनटोटा का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाए।’ जापानी अखबार को दिए उनके बयान का उद्देश्य परोक्ष तौर पर भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती समुद्री उपस्थिति को लेकर भारत और अमेरिका में आशंकाओं को दूर करना था। बंदरगाह को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के हिस्से के रूप में विकसित किया गया था, लेकिन कोलंबो ने 2017 में बीजिंग को बंदरगाह पट्टे पर दे दिया क्योंकि वह ऋण वापस करने में असमर्थ हो गया था।

‘बंदरगाह को लीज पर देना कोई नई बात नहीं’
विक्रमसिंघे ने इस बात पर जोर दिया कि चीन को बंदरगाह पट्टे पर देने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह कोई नई बात नहीं है।’ उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों ने भी बंदरगाहों को पट्टे पर दिया है। भारत, अमेरिका और अन्य देश इसको लेकर चिंतित हैं कि हिंद-प्रशांत में एक प्रमुख यातायात केंद्र हंबनटोटा बंदरगाह चीन के लिए एक सैन्य आधार बन सकता है।

‘सैन्य श्रेणी में नहीं आता है जहाज’
विक्रमसिंघे ने चीन के साथ कुछ हद तक संबंध बनाए रखने के अपने रुख का संकेत देते हुए कहा, ‘मौजूदा जहाज सैन्य श्रेणी में नहीं आता। (यह) एक अनुसंधान पोत की श्रेणी में आता है। इसलिए (हमने) जहाज को हंबनटोटा आने की अनुमति दी।’ विदेशी मुद्रा की कमी के कारण श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट में है। राष्ट्रपति ने कहा कि उनका इरादा अगस्त के अंत तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ राहत पैकेत पर बातचीत को अंतिम रूप देने का है। उन्होंने कहा, ‘हम अपने लेनदारों के साथ भी चर्चा शुरू करेंगे… चीन, भारत और जापान सबसे बड़े कर्जदाता हैं।’