चित्रकूट: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन किसी चोर की पूजा करना तो दूर उसके बारे में सोचना तक अजीब लगता है. लेकिन देश में एक धार्मिक स्थल ऐसा भी है, जहां एक चोर की पूजा करने के लिए लोगों को लंबी कतारें लगानी पड़ती हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के गुप्त गोदावरी स्थित रामायणकालीन खटखटा चोर मंदिर की. खटखटा चोर की पूजा से न सिर्फ सारी समस्याओं से मुक्ति मिलती है बल्कि मान्यता है कि यहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के घर में चोरी भी नहीं होती है. (रिपोर्ट और तस्वीरें धीरेंद्र शुक्ला की)
यह मूर्ति है खटखटा चोर नाम के राक्षस की. लेकिन ये नाम भी भक्तों को इनके दर्शन और पूजा करने से नहीं रोक पता. आपको सुनकर हैरानी हो रही होगी कि जिन राक्षसों ने देवताओं का भी जीना दूभर कर दिया था, उनकी पूजा भला कोई क्यों और कैसे कर सकता है. लेकिन भक्तों के लिए ये खटखटा चोर किसी भगवान से कम नहीं है. मान्यता है कि खटखटा चोर को पूजा का आशीर्वाद किसी और ने नहीं बल्कि प्रभु श्रीराम ने दिया था. कहानी त्रेता युग की है. भगवान राम जब वनवास के दौरान चित्रकूट पहुंचे तो उनका कई राक्षसों से पाला पड़ा था. ऐसा ही एक राक्षस था मयंक.
स्कन्द पुराण के अनुसार एक बार जब सीता गोदावरी नदी में स्नान कर रही थीं, तब मयंक राक्षस ने उनके दिव्य वस्त्र चुरा लिए थे. इन वस्त्रों को सती अनुसुइआ ने सीता को दिया था. वस्त्रों के चोरी होने से सीता माता बहुत दुखी हुई थीं. तो लक्ष्मण ने इस राक्षस का पीछा कर उस पर ऐसा बाण चलाया कि वह पत्थर में बदलने लगा. मयंक अपनी गलती समझ गया. उसने राम से क्षमा प्रार्थना की. भगवान राम ने उसकी प्रार्थना से द्रवित होकर आशीर्वाद दिया कि कलियुग में भक्तों के पाप नष्ट करने वाले भगवान के रूप में तुम्हारी पूजा की जाएगी.
राम के आशीर्वाद के बाद खटखटा चोर की इस मूर्ति को पापमोचनी शिला कहा जाने लगा. पाप नष्ट करने की विशेषता के चलते इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. ये मूर्ति गुफा में पत्थरों के बीच कुछ ऐसे फंसी है कि इसे हिलाया डुलाया जा सकता है. इसीलिए इसे खटखटा चोर कहा जाता है. कहते हैं भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में मुसीबत के मारे लोगों को चैन मिलता है. फिर वो चाहे असुर ही क्यों न हो. ये प्रभु राम की ही महिमा है कि यहां असुर भी पापों का नाश करने वाले बन जाते हैं.