चोलों के पास जहाजों का एक बेड़ा था जो किसी भी हमले के खिलाफ बचाव करने में सक्षम थे।
विश्व की सबसे अधिक समय तक राज करने वाले वशंज में से एक है चोल वंशज। चोल वंशज (Chola Dynasty) के विषय में अशोक के अभिलेखों में इस वंशज का जिक्र मिलता है। विश्व का सबसे पुराना वंशज तीसरी शताब्दी में स्थापित हुआ था और 13वीं शताब्दी तक चला। इस राजवंश के विषय में कई ऐसी बातें हैं जो इसे दूसरे वंशजों से अलग और बेहद खास बनाती हैं। आइए इस लेख के माध्यम से इस विषय में अधिक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
1- चोल राजाओं में राजाराजा 1 सबसे प्रसिद्ध थे। उनके शासन में साम्राज्य श्री लंका, मालाबार कोस्ट, लक्ष्यद्वीप और मालदीव से लेकर उत्तर में गंगा के मैदान तक फैला।
2- चोल राजवंश को तंजावुर में बृहदीश्वर मंदिर जैसे शानदार वास्तुकला के मंदिरों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है।
3- कांजीवरम सिल्क साड़ियों की उत्पत्ति उस समय में मानी जाती है जब राजराजा प्रथम ने सौराष्ट्र के बुनकरों को कांचीपुरम में बसने के लिए आमंत्रित किया था।
4- चोल साम्राज्य ने महिलाओं को पुरुषों के समान अवसर दिया। इस बात का प्रमाण है कि महिलाओं ने कई महत्वपूर्ण पदों जैसे राजाओं के बॉडीगार्ड के रूप में काम किया। वहीं कुछ महिलाओं ने शांतिदूत के रूप में भी काम किया।
5- चोलों के पास जहाजों का एक बेड़ा था जो किसी भी हमले के खिलाफ बचाव करने में सक्षम थे। यह उस समय की सबसे उन्नत समुद्री रक्षा प्रणालियों में से एक थी।
6- माना जाता है कि राजराजा चोल की कुल 15 पत्नियां थीं। उन्होंने अपनी बहन की बेटी से भी शादी की।
7- राजराजा चोल के शासनकाल में दक्षिण भारत में कला और साहित्य का विकास हुआ। तमिल कवियों अप्पार, सांबंदर और सुंदरार के प्रसिद्ध कार्यों को संकलित किया गया और थिरुमुराई नामक एक संकलन में मिला दिया गया।
8- राजराजन चोल के पास एक समर्पित सेना थी, जबकि उससे पहले के अन्य शासकों के पास एक नहीं थी। यहीं कारण था कि जब भी आवश्यकता होती थी, वे एक सेना इकट्ठा कर लेते थे।
9- पोन्नेरी झील एक कृत्रिम झील थी जिसे राजेंद्र चोल प्रथम ने अपने शासनकाल के दौरान बनाया था, यह भारत की सबसे बड़ी प्राचीन मानव निर्मित झीलों में से एक है।