(Kirti kaushal Solan Today )हिमाचल होटल मजदूर लाल झण्डा यूनियन सम्बंधित सीटू के बैनर तले ख़लीनी स्थित होटल ईस्टबोर्न के मज़दूरों का पिछले डेढ़ वर्ष से वेतन न मिलने की मांग को लेकर यूनियन का प्रतिनिधिमंडल श्रमायुक्त हिमाचल प्रदेश से मिला व उन्हें ज्ञापन सौंप कर होटल के नियोक्ता व प्रबंधन पर ठोस कार्रवाई की मांग की। यूनियन ने चेताया कि अगर शीघ्र ही मजदूरों को उनका लंबित वेतन न मिला तो वे आंदोलन तेज करेंगे व श्रम विभाग के बाहर अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठ जाएंगे। श्रमायुक्त ने मजदूरों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगों को तुरन्त हल किया जाएगा। गौरतलब है कि होटल ईस्टबोर्न प्रबंधन द्वारा मजदूरों का डेढ़ वर्ष से वेतन न देने पर होटल के बिल्कुल करीब स्थित श्रम विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है जिसका सीधा मतलब है कि होटल प्रबंधन के साथ श्रम विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है व विभाग होटल प्रबंधन को बचाना चाहता है। उन्हें श्रम विभाग की लचर व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं।
प्रतिनिधि मंडल में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेन्द्र मेहरा,जिला सचिव बाबू राम,होटल यूनियन अध्यक्ष बालकराम,उपाध्यक्ष किशोरी ढटवालिया, ईस्टबोर्न इकाई महासचिव कपिल नेगी उपाध्यक्ष विद्यादत व सचिव कमलेश कुमार मौजूद रहे।
होटल यूनियन अध्यक्ष बालक राम व सीटू जिला सचिव बाबू राम ने कहा है कि होटल ईस्टबोर्न प्रबंधन ने 135 मजदूरों का जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक के वेतन का भुगतान नहीं किया है जोकि वेतन भुगतान अधिनियम 1936 का सीधा उल्लंघन है। इस से मजदूरों को अपने परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। गौरतलब है कि होटल ईस्टबोर्न प्रबंधन द्वारा मजदूरों का डेढ़ वर्ष से वेतन न देने पर होटल के बिल्कुल करीब स्थित श्रम विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है जिसका सीधा मतलब है कि होटल प्रबंधन के साथ श्रम विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है व विभाग होटल प्रबंधन को बचाना चाहता है। उन्हें श्रम विभाग की लचर व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि पिछले डेढ़ साल से मजदूर बिना वेतन के गुजर-बसर कर रहे हैं परन्तु श्रम विभाग खामोश है। श्रम विभाग एक वर्ष पूर्व हुए अपने ही समझौते को लागू नहीं करवा पा रहा है व मूक दर्शक बना हुआ है। प्रबंधन ने मजदूरों का पिछले सोलह महीने का वेतन न देकर मजदूरों के लाखों रुपये के वेतन को भी प्रबंधन ने नहीं दिया है। इस सब पर श्रम विभाग की खामोशी समझ से परे है।