झारखंड के टीचर सपन कुमार ने अपने गांव के बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक बेहद अनोखा तरीका ढूंढा. सपन ने पूरे गांव को ही क्लासरूम बना दिया. गांव के मिट्टी के घरों की दीवारों को सपन ने ब्लैकबोर्ड में बदल दिया. The New Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, अपने गांव में शुरू किया ये मॉडल सपन कुमार अब दिल्ली आकर भी दर्शाएंगे.
झारखंड के बाद अब दिल्ली में दिखाएंगे अपना यूनीक मॉडल
राज्य सभा के डिप्टी चेयरमैन सांसद हरिवंश नारायण सिंह ने सपन कुमार को दिल्ली आने का न्यौता दिया. सपन कुमार ज़िला दुमका, झारखंड के दुमारथर (Dumarthar) गांव के ‘उतक्रमित माध्यमिक विद्यालय’ के प्रिंसिपल हैं. नारायण सिंह का कहना है कि सपन कुमार जिस शिक्षा मॉडल के ज़रिए पढ़ा रहे थे, वो पढ़ाने का असली तरीका है.
सपन कुमार और राज्य सभा डिप्टी चेयरमैन नारायण सिंह की फ़ोन पर हुई बातचीत में नारायण सिंह ने सपन कुमार से कहा कि वो उनके मॉडल के बारे में राज्य सभा के बाकी सांसदों के साथ चर्चा करेंगे.
पीएम भी कर चुके हैं तारीफ़
कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी सपन कुमार की तारीफ़ की थी. गांव के ज़्यादातर बच्चों के पास स्मार्टफ़ोन नहीं थे, जिस वजह से वे ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रहे थे. शिक्षकों ने बच्चों की समस्या सुलझाने के लिए पूरे गांव को ही क्लासरूम बना दिया. बच्चों को दीवारों पर ही असाइनमेंट दिया जाता है और लाउडस्पीकर से पढ़ाया जाता है.
मिल चुका है इनोवेशन अवॉर्ड
सपन कुमार के इनोवेशन के लिए उन्हें नेशनल टीचर्स अवॉर्ड के लिए भी नोमिनेट किया गया था. उनके मॉडल की तारीफ़ देश में ही नहीं विदेश में भी हो रही है. सपन कुमार बच्चों को आत्मनिर्भर भी बना रहे हैं. बच्चे चॉक, चटाई आदि बना रहे हैं और उन्हीं के ज़रिए पढ़ाई भी कर रहे हैं. बच्चे आस-पास मौजूद प्राकृतिक चीज़ों से ही झाड़ू बना रहे हैं और जगह की साफ़-सफ़ाई का भी ध्यान रखते हैं.