लखनऊ को यह पुरस्कार साल 2019-20 से 2021-22 तक पीएम-10 की औसत सांद्रता 31 प्रतिशत तक कम करने, बायोमास व ठोस कचरे को जलाने से रोकने के लिए की गई कार्रवाई के लिए दिया गया है। वहीं, 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में मुरादाबाद को पीएम-10 की औसत सांद्रता 36 प्रतिशत कम करने के 75 हजार रुपये दिए गए। 3 लाख से कम आबादी वाले शहरों में हवा साफ करने के प्रयासों के लिए मध्य प्रदेश के देवास को 37.50 लाख रुपये के पुरस्कार से नवाजा गया।
नगर आयुक्त ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से सभी प्रदेशों के प्रमुख शहरों में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2022 करवाया गया था। पिछले छह माह से केंद्र की टीमें मानकों के हिसाब से शहरों की हवा का मूल्यांकन कर रही थीं। शनिवार को इसकी रैंकिंग जारी की गई। उन्होंने कहा कि अगले छह महीने के लिए भी हमारा ऐक्शन प्लान तैयार है। हवा को साफ रखने के लिए आवासीय समितियों और स्कूली बच्चों को साथ लेकर अभियान चलाने की तैयारी है। इसके अलावा चौराहों पर एनजीओ की मदद से ट्रैफिक लाइट रेड होने पर लोगों को गाड़ियां बंद करने के लिए भी जागरूक किया जाएगा।सम्मान हासिल करने के बाद मेयर संयुक्ता भाटिया ने बताया कि लखनऊ में हवा की गुणवत्ता और पर्यावरण सुधारने के लिए पिछले पांच साल से प्रयास चल रहा था, जिसका नतीजा अब सामने आने लगा है।
मिलेंगे 100 करोड़ रुपये
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक रैंकिंग में नंबर वन होने पर नगर निगम को डेढ़ करोड़ तुरंत मिल गए हैं। वायुगुणवत्ता में सबसे बेहतर काम करने वाले शहर को 15वें वित्त में तय किया गया पूरा बजट मिलता है। इस तरह से लखनऊ को 100 करोड़ रुपये मिलेंगे। शहर के पर्यटन पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
स्वच्छता सर्वेक्षण में भी सुधार
स्वच्छता सर्वेक्षण में पांच साल पहले लखनऊ की रैंकिंग 269 थी। इसके बाद सफाई अभियानों का असर है कि पिछले तीन साल से लखनऊ लगातार टॉप-20 में बना हुआ है। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक लखनऊ में बड़े पैमाने पर घरों में पीएनजी, गाड़ियों में सीएनजी, बड़े पैमाने पर ई-वीकल और मेट्रो ने शहर की हवा सुधारने में अहम भूमिका निभाई।