हिमाचल प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के 723 पदों को भरने के लिए रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने फिलहाल इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में नियुक्त किए गए 674 आउटसोर्स अधिकारियों ने इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने की लगाई है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की आगामी सुनवाई पहली नवंबर को निर्धारित की है। भारतीय सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी एसोसिएशन की ओर से नई भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। 19 सितम्बर 2022 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने 723 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के पदों को अनुबंध आधार पर भरने के लिए विज्ञापन जारी किया है।
दलील दी गई है कि स्वास्थ्य मिशन के तहत शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप केंद्रों को अपग्रेड कर स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में बदलने की मुहिम शुरू की। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इन स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों में तैनाती देने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एचएलएल लाइफ केयर कंपनी के साथ 18 दिसम्बर 2018 को करार किया है। वर्ष 2019 में इस स्कीम में एचएलएल कंपनी ने कुल 674 सीएचओ को 3 वर्ष के अनुबंध आधार पर उक्त केंद्रों के लिए नियुक्त किया।
मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत नियुक्त किए गए 674 आउटसोर्स अधिकारियों बाहर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे है। सरकार ने अदालत को बताया कि प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के 1500 पद स्वीकृत किए गए हैं। अब 17 अगस्त 2020 को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को आउटसोर्स तरीके से भरना बंद कर सीधे अनुबंध आधार पर भरे। केंद्र सरकार के आदेशों के तहत 723 मौजूदा पदों को भरा जा रहा है।