सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद वन विभाग ने रेलवे बोर्ड को फाइल भेजकर जमीन के लिए 1.8 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि मांगी है। मुआवजा राशि मिलते ही वन भूमि रेलवे बोर्ड के नाम हो जाएगी।
इस रेललाइन के लिए हिमाचल में 1,648 बीघा निजी भूमि का अधिग्रहण होना है। इसमें दबट से बध्यात तक 52 किलोमीटर के लिए 50 गांवों में 1,110 बीघा और बध्यात से बरमाणा तक 11.1 किलोमीटर में 538 बीघा भूमि का अधिग्रहण होना है। बध्यात से पीछे 50 गांवों में अधिकतर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। करीब 335 बीघा भूमि का अधिग्रहण शेष है। पांच गांवों की जमीन का मोल भाव कर फाइल मंजूरी के लिए सरकार को भेज दी गई है। अगर इसकी मंजूरी मिल जाती है तो बध्यात से पीछे 150 बीघा भूमि ही अधिग्रहण के लिए बचेगी। बध्यात से आगे नौ गांवों की 538 बीघा जमीन की एसआईए स्टडी की फाइल सरकार को भेजी है। इसकी मंजूरी का भी इंतजार किया जा रहा है। संवाद
2024 में रेल बिलासपुर पहुंचाने का लक्ष्य
रेल को 2024 में बिलासपुर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, रेलवे बोर्ड ने मार्च 2025 तक का समय लिया है। बताते हैं कि इस रेललाइन की अनुमानित मूल लागत 2,966 करोड़ थी, लेकिन समय के साथ इसकी लागत भी बढ़ती गई। अब यह लागत करीब 7,000 करोड़ रुपये पहुंच गई है।
रेलवे बोर्ड वन विभाग की 1.8 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा। वन विभाग का यह परियोजना में अंतिम फेज है। पैसा जमा करवाने की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद चौथे फेज की अंतिम मंजूरी का रास्ता भी साफ हो जाएगा। – अनमोल नागपाल, संयुक्त महाप्रबंधक रेलवे बोर्ड