शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पीने के पानी की कमी से जूझ रही है. लेकिन सरकार मामले को राजनीतिक रंग दे रही है. लोग पानी को तरस रहे हैं और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. शिमला शहर में जल निगम पानी की आपूर्ति को देखता है. लेकिन हर साल शिमला में पानी की समस्या होती है. फिलहाल, मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है.
मंडी में मंगलवार को मीडिया के सवालों के जवाब में सीएम ने बताया कि राजधानी शिमला में पेयजल संकट कांग्रेस के समय में किए गए अवैज्ञानिक कार्यों के चलते गरमाया, लेकिन प्रदेश की सरकार ने लोगों को सुविधा देने के लिए करोड़ों के योजनाएं शुरू की हैं और इससे अब लोगों को पेयजल की कोई दिक्कत नहीं है.
वहीं, न्यूज18 हिमाचल के सवाल पर शिमला की मेयर भड़क गई. मेयर सत्या कौंडल से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने गुस्सा दिखाते हुए कहा कि शिमला में कहां पर लोग गंदा पानी पी रहे हैं, यह बताएं..कुछ समय तक वह गुस्सैल लहजे में बात करती रहीं और फिर फोन काट दिया.
शिमला में गहराए पेयजल संकट पर प्रदेश हाईकोर्ट की सख्ती के दूसरे ही दिन मंगलवार को सप्लाई पांच एमएलडी तक बढ़ गई. मंगलवार को सभी पेयजल परियोजनाओं से शिमला शहर को 41.07 एमएलडी पानी मिला. बीते एक हफ्ते में पहली बार 40 एमएलडी से अधिक पानी मिला है. शहर के लिए पानी की सप्लाई बढ़ने के बाद कंपनी ने भी सभी जोन में तय शेड्यूल के अनुसार लोगों को पानी दे दिया है. बुधवार को भी तय शेड्यूल के मुताबिक पानी देने के निर्देश हैं. वहीं, मामले में कोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा है.
हाईकोर्ट ने शिमला जलसंकट पर पेश आंकड़ों पर जताया असंतोष
शिमला में पेयजल संकट मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों की ओर से पेश किए आंकड़ों पर असंतोष जताया. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस पर हैरानी जताते हुए शिमला जल प्रबंधन निगम को आदेश दिए हैं कि अदालत के समक्ष विस्तृत आंकड़े पेश करें. इस मामले कि सुनवाई आगामी 22 जून को निर्धारित की गई है. खंडपीठ ने पूछा था कि जब स्रोतों से 32 एमएलडी पानी उठाया जा रहा है तो उस स्थिति में वैकल्पिक दिन में पानी क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है. अदालत ने शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों से यह भी पूछा था कि यदि गर्मी के कारण केवल 32 एमएलडी पानी ही उठाया जा रहा है तो आठ एमएलडी कहां जा रहा है.