बहुत से लोगों को डायनासोर्स के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है. सोचने वाली बात है कि कैसे दुनीया के विनाश के साथ ये जीव इस तरह विलुप्त हो गए कि फिर कभी जन्म ही न ले पाए? ऐसे सवालों के साथ एक सवाल ये भी है कि जब डायनासोर्स पूरी तरह से खत्म हो गए तो भला कॉकरोच कैसे बचे रह गए?
महाविनाश में बचे थे ये जीव
सबसे पहले ये जानिए कि 6.6 करोड़ साल पहले मैक्सिको में एक एस्टेरॉइड टकराया था, जिसके बाद चिक्सुलब क्रेटर बना और इसी वजह से दुनिया का तीन चौथाई जीवन खत्म हो गया. इसी विनाश में डायनासोर भी खत्म हो गए. बचे तो केवल वे पक्षी जिनके वंशज आज हमारे बीच हैं. इनके अलावा कुछ एक प्रजातियां बच गई थीं. जिनमें एक थे कॉकरोच. आज भी इस बात पर चर्चा रहती है कि आखिरकार इन प्रजातियों ने उस विनाश से खुद को कैसे बचाया होगा. जिस तरह से कॉकरोच कैसे बचे रह गए उससे हम इंसान सबक ले सकते हैं.
हो गया था तीन चौथाई जीवन समाप्त
क्षुद्रग्रह के टकराव से जो महाविनाश हुआ उसमें कई स्थानों पर ज्वालामुखी फटने के कारण वायुमंडल में राख और धुंआ छा गया. ये धुआं और राख इतनी ज्यादा थी कि सूर्य की रोशनी का पृथ्वी तक पहुंच पाना ही संभव न रहा. ऐसे में धीरे धीरे पौधे मरने लगे. इसका परिणाम ये निकला कि पौधों के साथ साथ इन्हें खाने वाले जानवर भी मरने लगे. इसी तरह धीरे धीरे पृथ्वी का तीन चौथाई जीवन ही समाप्त हो गया.
इस महाविनाश में बड़े बड़े जानवर नहीं बच सके लेकिन कॉकरोच बच गए. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कॉकरोच का शरीर बहुत सपाट होता है, यह कोई संयोग नहीं है. इस वजह से ये कॉकरोच खुद को ऐसे जगह पहुंचा सकते हैं जहां बाहरी प्रभाव नहीं पहुंच पाता है. उनकी इसी क्षमता ने उन्हें चिक्सुलब टकराव से बचने में मदद की.
इस तरह बचे कॉकरोच
जब टकराव हुआ तो पृथ्वी का तापमान अचानक बढ गया. बहुत से जानवरों को कहीं छिपने की जगह तक नहीं मिली लेकिन कॉकरोच गर्मी से बचने के लिए मिट्टी की दरारों में छिप गए जो ऊष्मा से बचने की एक बढ़िया जगह है.
एक तरफ जहां महाविनाश में पेड़ पौधों के मरने के बाद खाने के लिए उन पर ही आश्रित जानवर मरने लगे वहीं कॉकरोच को ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई क्योंकि कॉकरोच सर्वहारी अपमार्जक थे. वे पौधों और जानवरों के मरने के बाद के अवशेष भी खाकर जिंदा रह सकते थे. और महाविनाश के माहौल में वे खुद को बचाने में सफल भी हो सके.
एक और बात थी जिसने कॉकरोचों की प्रजाति को बचाए रखा और वो ये कि इनके अंडे बहुत सुरक्षित स्थिति में होते हैं. वे अपने अंडे एक सुरक्षित खोल में देते हैं. अंडों के ये डब्बे सूखे दानों की तरह दिखते हैं जो ओदेका कहलाते हैं जिसका मतलब अंडों की डिबिया होता है. सख्त से ये अंडों के खोल नुकसान और दूसरे खतरों से अंडों को बचाने का काम करते हैं. कई कॉकरोंचों को महाविनाश के समय इन खोलों में रहने का फायदा भी मिला होगा.