पिछले साल के बजट से दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है। बजट 2022 के समय भारत कोरोना की महामारी से बाहर आ रहा था। लिहाजा, सरकार का पूरा फोकस रिकवरी पर था। आज वह माहौल नहीं है। हालांकि, रूस और यूक्रेन के रूप में दुनिया एक लंबी जंग की साक्षी बनी हुई है। किसी को नहीं पता कि यह कब खत्म होगी।
नई दिल्ली: बजट 2023 का काउंटडाउन शुरू हो गया है। हर गुजरते दिन के साथ 1 फरवरी पास आ रही है। इसी दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का बजट पेश करेंगी। हर किसी को इसका बेसब्री से इंतजार है। उम्मीद है कि वित्त मंत्री टैक्स सुधारों से जुड़े कुछ बड़े ऐलान करेंगी। साथ ही आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अचूक कदम उठाएंगी। बजट 2022 से भारत के हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। तब देश कोरोना की महामारी से बाहर आ रहा था। पूरा फोकस रिकवरी पर था। यह बात सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। एक साल में पूरी दुनिया के समीकरण सिर के बल उलट चुके हैं। ऐसे में वित्त मंत्री को हर कदम बहुत फूंक-फूंककर रखना है। ग्रोथ को रफ्तार देने के साथ उन्हें महंगाई पर भी अंकुश बनाकर रखना होगा। यह काम इतना आसान नहीं होगा। आइए, यहां जानते हैं कि पिछले बजट से क्या-क्या बदल गया है और सीतारमण को किन चीजों का ध्यान रखना है।
एक लंबी जंग देख रही है दुनिया
बजट 2022 के कुछ हफ्तों बाद ही रूस और यूक्रेन के बीच हालात तनावपूर्ण हो गए। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का बिगुल बजा दिया। यह जंग उम्मीद से ज्यादा लंबी खिंच चुकी है। अब तक जीत-हार का फैसला नहीं हो पाया है। यह और बात है कि इसने वस्तुओं की सप्लाई चेन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इससे दुनियाभर में वस्तुओं की कीमत पर असर पड़ा है। भारत का व्यापार भी इससे अछूता नहीं रहा है।
क्रूड की कीमतें मार रही हैं कुलांचें
2022 में कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी देखी गई। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई बाधित होने की वजह से ऐसा हुआ। टॉप इम्पोर्टर चीन से कमजोर मांग और आर्थिक सुस्ती की आशंका ने भी क्रूड की कीमतों को हवा दी।
कोविड का असर पड़ा है मंद
बजट 2022 का ऐलान ऐसे समय हुआ था जब सरकार का फोकस अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने पर था। तब लॉकडाउन के कारण बहुत से सेक्टरों को भारी नुकसान हुआ था। महामारी के बाद के चरण में टूरिज्म, ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी जैसे सेक्टरों में दोबारा जान आई है। ऐसे में आने वाले बजट में सरकार भारत के आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए कुछ ठोस कदम उठा सकती है।
महंगाई का दबाव
महंगाई की दर पूरे साल के दौरान आरबीआई के सहज स्तर से ज्यादा बनी रही है। इसके पीछे खाने-पीने की वस्तुओं के साथ ईंधन के दाम बढ़ना मुख्य वजह है। खाद्य महंगाई की दर में अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों के दाम बढ़ने से इजाफा हुआ है। दुनिया के कई देशों ने निर्यात पर रोक लगाई है। इसके कारण भी महंगाई की दर बढ़ी है।
रुपये में है भारी उठापटक
2022 की दूसरी छमाही में रुपये की कीमत में तेज गिरावट आई। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 11 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गई। रुपये के इस मूवमेंट ने भारतीय निवेशकों को परेशान किया।