हिमाचल प्रदेश के कोकून उत्पादकों को इस साल 1100 रुपये दाम तय हुआ है। विभाग ने कोकून खरीद का कार्य शुरू कर दिया है।
प्रदेश के कोकून उत्पादकों को इस साल उम्दा दाम मिलेंगे। रेशम विभाग ने 200 रुपये प्रति किलो कोकून के दाम बढ़ा दिए हैं। पिछले साल रेशम कीट पालकों को प्रति किलो के 900 रुपये मिले थे। इस साल 1100 रुपये दाम तय हुआ है। वहीं, विभाग ने कोकून खरीद का कार्य शुरू कर दिया।
इस साल विभाग ने प्रदेशभर से 40 से 45 हजार किलोग्राम कोकून खरीद का लक्ष्य रखा है। कोरोना काल में पिछले साल 35,000 किलोग्राम कोकून उत्पादन सूबे में हुआ था। इस वर्ष प्रदेश में कोकून का उत्पादन बढ़ाने के लिए किन्नौर और चंबा में भी कीट पालन शुरू करवाया गया है। सूबे में 10,485 परिवार रेशम कीट पालन का कार्य कर रहे हैं। गोर हो कि देश के कुछ ही राज्यों में शहतूत रेशम की खेती की जाती है। इनमें से हिमाचल भी एक है। प्रदेश में शहतूत के अलावा ओक टसर रेशम वनों में वान और मोरू प्रजाति के पेड़ों से तैयार किया जा रहा है।
एरी रेशम उत्पादन का ट्रायल सफल
इस साल ट्रायल के तौर पर ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और सोलन में एरी रेशम का सफल उत्पादन किया गया है। खास बात यह है कि प्रदेश में शहतूत रेशम उत्पादन जहां साल में सिर्फ दो बार किया जाता है, वहीं एरी रेशम का उत्पादन चार से पांच बार होगा।
अकेले बिलासपुर जिले में होता है सूबे का 40 फीसदी रेशम कीट उत्पादन
रेशम विभाग के उपनिदेशक बलदेव चौहान ने बताया कि इस वर्ष कोकून पालकों को विभाग अच्छे दाम दे रहा है। सूबे का 40 फीसदी रेशम कीट उत्पादन अकेले बिलासपुर जिले से होता है। विभाग इस उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। एरी किस्म के रेशम कीट का पालन शुरू करवाया जा रहा है। वर्तमान में सूबे में 32 मीट्रिक टन रेशम के धागे का उत्पादन किया जा रहा है।