राज्य कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग के सचिव राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश की शक्तिपीठों के पास चढ़ावे से जमा सोने और चांदी के सिक्के बनाए जाएंगे। इसके लिए उपायुक्तों को एमएमटीसी से एमओयू करने के लिए पत्र भेजे हैं।
हिमाचल प्रदेश की नौ देवियों के दरबार में दान के रूप में चढ़े सोने और चांदी को पिघलाने के बाद शुद्ध करके उसके सिक्के बनाए जाएंगे। इन सिक्कों पर देवियों की मूर्त और चिह्न होंगे। इन्हें मंदिरों में आने वाले श्रद्धालु मौजूदा समय के सोने-चांदी के भाव के हिसाब से खरीद सकेंगे। हालांकि, सिक्के बनाने की योजना काफी पुरानी है, लेकिन अब राज्य सरकार ने सभी उपायुक्तों को केंद्र सरकार के उपक्रम खनिज एवं धातु निगम (एमएसटीसी) से समझौता ज्ञापन करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद सिक्के बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
हिमाचल की शक्तिपीठों और प्रसिद्ध मंदिरों के पास 50 क्विंटल सोना और 192 क्विंटल चांदी जमा है। हर साल करोड़ों का सोना और चांदी श्रद्धालु चढ़ाते हैं। वर्तमान में राज्य के मंदिरों के सोने-चांदी का मंदिर ट्रस्ट सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इनकी सुरक्षा और बीमा पर भी हर साल लाखों की धनराशि सरकार खर्च करती है।
ये हैं हिमाचल की शक्तिपीठ और प्रसिद्ध मंदिर
प्रदेश की शक्तिपीठों में बज्रेश्वरी देवी मंदिर, माता ज्वालामुखी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, मां चिंतपूर्णी और नयनादेवी मंदिर हैं। इसके अलावा कामाख्या देवी, भीमाकाली मंदिर, मुरारी देवी मंदिर, नव दुर्गा शक्तिपीठ सनारनी प्रमुख हैं।
क्या कहते हैं विभाग सचिव
राज्य कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग के सचिव राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश की शक्तिपीठों के पास चढ़ावे से जमा सोने और चांदी के सिक्के बनाए जाएंगे। इसके लिए उपायुक्तों को एमएमटीसी से एमओयू करने के लिए पत्र भेजे हैं।