भारतीय बच्चों ने एक न एक बार लकड़ी के खिलौनों से ज़रूर खेला होगा. इन खिलौनों को घर की सजावट के लिए भी इस्तेमाल किया जाता रहा है. लकड़ी की गुड़िया, लकड़ी की हाथ गाड़ी और कई अन्य तरह के खिलौनों ने बच्चों के दिलों पर हमेशा से राज किया है. आधुनिकता की इस दौड़ में ये प्यारे खिलौने कहीं पीछे छूट गए थे लेकिन अब इन्हें बनाने वालों के दिन बदलने वाले हैं.
बुधनी में बनते हैं ये ख़ास देसी खिलौने
लकड़ी के ये खूबसूरत खिलौने मध्य प्रदेश में नर्मदा किनारे बसे बुधनी शहर की मुख्य पहचान रहे हैं. इन्हीं खिलौनों के दम पर यहां के कई परिवारों का पालन-पोषण होता रहा है. मगर समय के साथ इनकी डिमांड में लगातार गिरावट आई है. इसकी वजह से लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगरों को काफी संघर्ष करना पड़ता है.
काम छोड़ चुके हैं कई कारीगर
एबीपी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 51 वर्षीय महेश शर्मा को लकड़ी के ये खिलौने बनाते हुए 3 दशक से अधिक समय हो चुका है. उनका कहना है कि पहले सब ठीक था लेकिन 2014 में बना राजमार्ग हाईवे बुधनी के खिलौना बाजारों के लिए आपदा का कारण बन गया. उन्होंने बताया कि पहले इन खिलौनों की खूब डिमांड होती थी. रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित खिलौनों की दुकानों से गुजरने वाले अन्य प्रदेशों और शहरों के यात्री अक्सर ये खिलौने खरीदते थे लेकिन 2014 में इस हाईवे के बनने के बाद से खिलौनों की बिक्री में लगातार गिरावट आई है. इसी वजह से अधिकतर कारीगरों ने खिलौने बनाना छोड़ दिया.
महेश के अनुसार अब इन खिलौनों को उनके जैसे ही कुछ-एक कारीगर बना रहे हैं. पहले के मुकाबले ये खिलौने बहुत कम बनाए जा रहे हैं. महेश ने एबीपी न्यूज को बताया कि पहले जहां बुधनी के 40 से ज्यादा घरों में ये खिलौने बनाए जाते थे, वहीं अब इसे बनाने वाले मात्र 8-10 घर ही रह गए हैं.
अब बदलेंगे इनके दिन
इन खिलौनों की मांग में कमी आने का सीधा असर महेश शर्मा जैसे कारीगरों पर पड़ा है लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि बुधनी के खिलौना कारीगरों के दिन बदलने वाले हैं. इसका कारण ये है कि प्रदेश सरकार बुधनी में बनने वाले लकड़ी के खिलौनों का दूर-दूर तक प्रचार प्रसार कर रही है. इसके साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज और प्रदेश सरकार भी इन खिलौनों की बिक्री बढ़ाने के लिए काम कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य सरकार ने ये ऐलान किया है कि भोपाल और नर्मदापुरम (होशंगाबाद) रेलवे स्टेशन पर खिलौनों के स्टॉल लगवाए जाएंगे. बुधनी की लकड़ी के ये खूबसूरत खिलौने महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक प्रसिद्ध रहे हैं. अब एक जिला एक उत्पाद नीति के तहत बुधनी के खिलौनों का चयन किया गया है.
ऐसे बनते हैं बुधनी के खिलौने
बता दें कि बुधनी में खिलौनों सफेद रंग की दुधी लकड़ी से बनते हैं. इसकी खासियत ये है कि इसमें अन्य लकड़ियों की तरह गांठ और रेशे नहीं होते. ये पूरी लकड़ी एक जैसी होती है, जिस वजह से इससे खिलौने बनाने में आसानी होती है और ये सुंदर भी दिखते हैं. कहा जाता है कि ये लकड़ी औषधीय गुणों से भरपूर होती है. ऐसे में अगर बच्चे खेलते समय इन खिलौनों को मुंह में डाल भी लेते हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होता. बुधनी के जंगलों में पाई जाने वाली दुधी लकड़ी को वन विभाग द्वारा कम दाम पर शिल्पकारों को उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा इन खिलौनों की सबसे बढ़ी खासियत ये है कि ये प्लास्टिक के खिलौनों की तरह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते.