नई दिल्ली. रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के तहत लक्ष्य तय किया है कि भारत साल 2047 में जब अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष में प्रवेश करे, तब तक डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़कर 2.6 लाख करोड़ रुपये हो जाए. शीर्ष सूत्रों ने News18 को बताया कि सरकार ने इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में पूर्ण स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता का भी टारगेट रखा है. नरेंद्र मोदी सरकार के विजन@2047 के तहत साल 2047 के लक्ष्यों पर शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई. इस दौरान डिफेंस सेक्टर में सूक्ष्म, लघु और मध्यम (MSME) श्रेणी की 45,000 कंपनियों को जोड़ने का भी लक्ष्य रखा गया, जो अभी 15,000 है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्पेस इकॉनमी में भारत की हिस्सेदारी को मौजूदा 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 2047 तक 15 प्रतिशत करने पर भी रक्षा मंत्री के साथ विचार विमर्श हुआ. भारत का लक्ष्य 2047 तक 1 ट्रिलियन डॉलर का बाजार बनना है.
अतिरिक्त सचिव (रक्षा उत्पादन) संजय जाजू ने बताया कि 2020-21 में भारत का रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपये था, जो सर्वाधिक है. सूत्रों के मुताबिक, 2047 तक इसे 20 गुना बढ़ाकर 2.6 लाख करोड़ रुपये किया जाना है. रक्षा निर्यात बढ़ाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है. सरकार ने 2024-25 तक डिफेंस एक्सपोर्ट को 35,000 करोड़ से 40,000 करोड़ रुपये तक ले जाने पर काम कर रही है. इसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के निर्यात से काफी मदद मिलने की उम्मीद है. कई देशों ने इन्हें खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है.
भारत फिलीपींस को उन्नत हल्के मार्क III हेलीकॉप्टर और मलेशिया को तेजस के निर्यात विचार कर रहा है. दोनों देश के बीच बातचीत एडवांस स्टेज में है. सूत्रों ने पहले न्यूज18 को बताया था कि भारत ने मिस्र में तेजस और हेलिकॉप्टरों के निर्माण के लिए उत्पादन लाइन स्थापित करने की भी पेशकश की है. अफ्रीकी बाजार को भी खंगालने की योजना है. भारत ने हाल ही में फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की आपूर्ति के लिए 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया है. इंडोनेशिया से भी ब्रह्मोस को लेकर बात बन सकती है. रक्षा मंत्रालय एक रक्षा उत्पादन एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति पर भी काम कर रहा है, जो अपने अंतिम चरण में बताई जाती है.
भारत की आजादी के 100वें साल यानी 2047 के लिए मोदी सरकार ने बड़ा रोडमैप तैयार किया है. इसके तहत सभी सेक्टरों पर काम करने के लिए सचिवों के दस क्षेत्रीय समूह बनाए गए हैं. ये समूह ऐसे लक्ष्य और रोडमैप तैयार कर रहे हैं, जिन्हें 2047 तक हासिल किया जाना है. इन समूहों में से एक सुरक्षा और विदेशी मामलों से भी संबंधित है. रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में भारतीय रक्षा निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से छह गुना बढ़कर 9,000 करोड़ रुपये हो गया है. इसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी 90 प्रतिशत है. इसके तहत मोटे तौर पर 84 देशों को निर्यात किया जा रहा है. स्टॉकहोम स्थित इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2020 की रिपोर्ट बताती है कि भारत रक्षा निर्यात में शीर्ष 25 देशों की सूची में आ गया है.