विद्युत जामवाल ( vidyut jammwal) और शिवालिका ओबरॉय (shivaleeka oberoi) स्टारर फिल्म ‘खुदा हाफिज’ (khuda haafiz chapter 2) आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. निर्देशक फारुख कबीर की ये फिल्म 2020 में आई ‘खुदा हाफिज’ का सीक्वेल है, जिसमें एक बार फिर विद्युत जामवाल का धमाकेदार एक्शन आपको देखने को मिलेगा. ‘खुदा हाफिज’ एक ऐसे जोड़े की कहानी थी, जो नौकरी के लिए विदेश जाते हैं लेकिन विदेश पहुंचते ही समीर की पत्नी का अपहरण हो जाता है. वह सैक्स रैकेट के चुंगुल में फंस जाती है और समीर अपनी पत्नी को इस सब से बचाकर वापस अपने देश लेकर आता है. ‘खुदा हाफिज चैप्टर 2’ इसी के आगे की कहानी है.
कहानी: समीर और नर्गिस की जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रही, क्योंकि नर्गिस अब भी अपनी पुरानी यादों से खुद को अलग नहीं कर पा रही. ऐसे में उनकी जिंदगी में एंट्री होती है नंदनी की जो उनकी गोद ली हुई बेटी है. समीर और नर्गिस अपनी जिंदगी को फिर से खुशहाली से शुरू करने की कोशिश करते हैं लेकिन एक दिन उनकी बेटी नंदनी का अपहरण हो जाता है और सबकुछ तहस-नहस हो जाता है. क्या समीर बेटी नंदनी को वापस ला पाएगा, उसे इंसाफ मिलेगा और समीर क्या करेगा, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
लंबे समय बाद आई ‘कहानी वाली एक्शन फिल्म ‘
सबसे पहले बात करें फिल्म की कहानी की तो 2020 में आई ‘खुदा हाफिज’ जहां एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म थी, वहीं ‘खुदा हाफिज चैप्टर 2’ पूरी तरह एक कहानी है. हालांकि निर्देशक फारुख कबीर ने जिस तरह घटनाओं को एक साथ संजोया है, उससे ये कहानी एक मुकम्मल सीक्वेल बनी नजर आती है. पिछले कुछ समय में बॉलीवुड में सामने आईं कई एक्शन फिल्मों से मेरी यही शिकायत रही कि ये फिल्में एक्शन तो 10 किलो परोस देती हैं, लेकिन कहानी के नाम पर इनमें 10 ग्राम भी दम नहीं होता. साथ ही लॉजिक तो आप भूल ही जाइए, लेकिन खुदा हाफिज चैप्टर 2 ने मेरी ये शिकायत दूर की है. एक एक्शन हीरो के साथ बनाई गई इस फिल्म में एक कहानी है और वो भी इतने सलीके से पिरोयी गई है कि आपको अपनी कुर्सियों से बांधे रखेगी.
फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी बांधने वाला है और इसका पेस भी काफी अच्छा है. पहला हाफ आपको काफी इमोशनल भी कर देगा. जैसे-जैसे स्क्रीनप्ले बढ़ता जाएगा, आप भी अपनी कुर्सियों पर बैठकर ये प्रार्थना करने लगेंगे कि काश समीर, नंदनी को बचाकर ले आए. हालांकि सैकंड हाफ में कुछ चीजें आपको खिंची हुई लग सकती हैं, लेकिन आपकी एक्शन देखने की भूख तो इंटरवेल के बाद ही पूरी होगी.फिल्म ‘खुदा हाफिज’ चैप्टर 2 2020 में आई इसी नाम की फिल्म का सीक्वेल है.
मार्शल आर्टिस्ट नहीं एक्टर विद्युत जामवाल
एक्टिंग की बात करें तो मुझे विद्युत जामवाल ने काफी इंप्रैस किया है. बॉलीवुड में एक्शन-हीरो के नाम पर एक्टर्स की जो जमात है, उसमें कुछ ही हीरो हैं जो एक्टिंग भी उसी इंटेंसिटी के साथ कर पाते हैं. लेकिन ‘खुदा हाफिज चैप्टर 2’ में विद्युत एक पिता की घबराहट, छटपटाहट और बैचेनी पर्दे पर जिस तरह उतारते हैं, वो दिल तक पहुंचती है. शिवालिका का स्क्रीन स्पेस कम है, लेकिन वो जब भी पर्दे पर आई हैं अच्छी लगी हैं. विलेन के किरदार में शीबा खौफनाक हैं.
कुछ शिकायतें भी हैं…
देखिए , इससे पहले भी कई फिल्में बलात्कार के इर्द-गिर्द बनाई गई हैं, उनके अपने तरह के न्याय देने की कोशिश भी की गई है. ‘खुदा हाफिज चैप्टर 2’ में भी आखिर में न्याय देने का अपना ही तरीका दिखाया गया है. हालांकि फिल्मों में ये तरीके अच्छे लगते हैं पर असल जिंदगी में मैं इन तरीकों से इत्तेफाक नहीं रखती. लेकिन ये फिल्म है और जिसमें अपना न्याय है. दूसरी शिकायत मेरी है फिल्म में जिस तरह से शिवालिका के किरदार को दिखाया गया है. पत्नी के तौर पर उनका पति को अकेले छोड़कर जाने का एंगल मुझे थोड़ा ऑफ लगा.
आखिर में मुझे लगता है कि बहुत कम फिल्में होती हैं, जिनके सीक्वेल उनकी पहली फिल्म के स्तर को मैच कर पाते हैं, लेकिन खुदा हाफिज चैप्टर 2 अपनी पहली वाली फिल्म से भी ज्यादा अच्छी है, जिसकी कहानी दमदार और इमोशंस दिल तक पहुंचने वाले हैं. एक बेहद जरूरी मुद्दे पर बनी विद्युत जामवाल और शिवालिका ओबरॉय की इस फिल्म को मेरी तरह से 3.5 स्टार.