अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने बिहार कांग्रेस में बड़ा बदलाव करते हुए मदन मोहन झा को अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश प्रसाद सिंह के कंधे पर पार्टी को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। अखिलेश प्रसाद सिंह कभी लालू यादव के करीबी हुआ करते थे अब कांग्रेस ने इन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बिहार में बड़ा दांव खेल दिया है।
नीलकमल, पटना: बिहार में अपनी जड़ों को फिर से मजबूत करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश नेतृत्व में बदलाव कर अखिलेश प्रसाद सिंह को अध्यक्ष नियुक्त किया है। बताया जाता है कि कांग्रेस ने 2024 लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव में अपने ट्रेडिशनल वोटरों को आकर्षित करने के लिए अखिलेश प्रसाद सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी है। गौरतलब है कि बिहार में 1990 के बाद से ही कांग्रेस वैशाखी पर चल रही है। यही वजह है कि बिहार में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने अध्यक्ष पद पर उसे बिठाया है, जो कभी लालू यादव के बेहद करीबी हुआ करते थे।
लालू ने अखिलेश प्रसाद को पहुंचाया था दिल्ली
5 जनवरी 1962 को बिहार के जहानाबाद में जन्म देने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह 2000 से 2004 तक अरवल विधानसभा सीट से बिहार विधानसभा के सदस्य हुआ करते थे। वे बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। इसके बाद 2004 लोकसभा सदस्य चुने गए। उस वक्त लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल भी मनमोहन सिंह की सरकार में शामिल थी। लालू प्रसाद यादव ने अखिलेश प्रसाद सिंह को आरजेडी कोटे से राज्य मंत्री बनाए गए थे। बता दें कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में अखिलेश प्रसाद सिंह कृषि, उपभोक्ता मामले कर साथ खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय भी संभाल चुके हैं। लेकिन लालू प्रसाद यादव से मनमुटाव होने के बाद अखिलेश प्रसाद सिंह राष्ट्रीय जनता दल को छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।
महागठबंधन को मजबूत बनाने में अहम भूमिका
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने बिहार में महागठबंधन का ढांचा तैयार करने के साथ बड़े दलों को उसमें शामिल कराए जाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2018 में राज्यसभा के सदस्य बनने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह 2009 में कांग्रेस के टिकट पर मोतिहारी से चुनाव लड़ा था और हार गए थे। इसके बाद उन्होंने 2014 में मुजफ्फरपुर से किस्मत आजमाई लेकिन, इस बार भी उन्हें हार का ही मुंह देखना पड़ा। इतना ही नहीं 2015 में हुए विधानसभा चुनाव तक लड़कर सदन में पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन वहां भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी थी।
नीतीश के खिलाफ खुलकर बयान देते थे अखिलेश सिंह
बिहार में जब एनडीए की सरकार थी, तब अखिलेश प्रसाद सिंह खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी किया करते थे। राज्यसभा सांसद होने के बावजूद अखिलेश प्रसाद सिंह बिहार कांग्रेस में बड़ी पकड़ रखते हैं। बताया जाता है कि आलाकमान के निर्देश पर ही अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार कांग्रेस कैंपेन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। जाहिर है, प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश प्रसाद सिंह पर 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन की बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा ट्रेडिशनल वोटरों को फिर से कांग्रेस की ओर आकर्षित करने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी।