नाहन में जातीय समीकरण की किश्ती पर कांग्रेस, विकास के नारे पर भाजपा की नाव, ये विश्लेषण…

नाहन, 07 नवंबर : विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के मतदान का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। एक सप्ताह में प्रत्याशियों की किस्मत का निर्णय हो जाएगा। ये अलग बात है कि परीक्षा का परिणाम 8 दिसंबर को आएगा।

खैर, नाहन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस (Congress) जातिवाद के अंकगणित के आधार पर विधानसभा की दहलीज को पार करना चाहती है, तो भाजपा (BJP) को विकास कार्यों से आस है। कांग्रेस मुस्लिम व राजपूत बिरादरी के वोट बैंक को साधने में लगी हुई  है तो भाजपा प्रत्याशी ने शुक्रवार शाम एक रोडमैप (RoadMap) जारी किया, जिसमें इस बात का खुलासा किया कि वो अगले पांच साल में विधानसभा क्षेत्र के लिए क्या करेंगे।

ये है जातिगत अंकगणित…..
विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम व राजपूत बिरादरी के अलावा कोली समाज व ब्राह्मणों का प्रभाव है। इसके अलावा पुनर्सीमांकन के बाद पांवटा विधानसभा क्षेत्र (Paonta Assembly Constituency) से करीब 5 से 7 हजार बाहती वोट बैंक भी इधर आ गया था। इसके अलावा 13 पंचायतों में ओबीसी वोट बैंक भी एक निर्णायक फैक्टर हो सकता है।

चूंकि, बाहती समुदाय परंपरागत तौर पर लंबे अरसे से भाजपा के पाले में रहा है, यही वजह है कि कांग्रेस ने इसी समाज से मंडल अध्यक्ष को बनाने का निर्णय लिया था। भाजपा को विकास को लेकर आस है, साथ ही मतों के पोलराइजेशन की भी उम्मीद है।

हालांकि, पुराने रिकाॅर्ड के मुताबिक निर्वाचन क्षेत्र में राजपूत बिरादरी का ही आधिपत्य रहा है, लेकिन दिवंगत भाजपा नेत्री श्यामा शर्मा ने इस तिलिस्म को तीन बार तोड़ा था। 2012 व 2017 में डाॅ. राजीव बिंदल ने सोलन से आकर मिथक को तोड़ दिया। 50 साल के इतिहास में 1977, 1982 व 1990 में पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा जीती तो थी, लगातार 10 साल तक विधायक बिंदल  भी जीत हासिल करते है तो वो हैट्रिक बनाने वाले पहले नेता होंगे। बिंदल ने 2012 में चौतरफा मुकाबले में 47.69 वोट लेकर जीत की पारी शुरू की थी। 2017 में ये ग्राफ सीधे मुकाबले में 51.3 प्रतिशत था।

ऐसा भी हो सकता है समीकरण….
विधानसभा क्षेत्र के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यहां 85,495 मतदाता हैं। औसतन ये मान लिया जाए कि 80 फीसदी मतदान होता है तो 68,396 का मतदान होगा।

    2017 के विधानसभा चुनाव में 82.01 प्रतिशत मतदान हुआ था। 61,527 मतदाताओं ने मत का इस्तेमाल किया था। कांग्रेस व भाजपा में सीधा मुकाबला हुआ। डाॅ. राजीव बिंदल 31,563 वोट हासिल करने में सफल रहे थे। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार अजय सोलंकी को 27,573 वोट हासिल हुए थे। अंतर साढ़े 6 फीसदी के आस-पास का है। चुनावी गणना में ये भी साफ जाहिर हो रहा है कि मुकाबला कांटे का है।

     वो प्रत्याशी जीत के करीब हो सकता है, जो 30 से 32 हजार मतों को ले सकेगा। देखना ये भी है कि आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के प्रत्याशी सुनील शर्मा द्वारा कांग्रेस व भाजपा के खाते से कितने वोट चुराते हैं। यदि, भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ उम्मीद से अधिक मतदान होता है तो जीत का आंकड़ा 30 हजार के आसपास भी सिमट सकता है।

सबल व निर्बल पक्ष..

भाजपा प्रत्याशी का सबल पक्ष ये है कि वो प्रदेश की राजनीति में एक कद्दावर नेता हैं। साथ ही दो जिलों से लगातार चुनाव जीतने का तजुर्बा भी है। 2012 में जात-पात की राजनीति के मिथक को तोड़ने में सफल हुए थे। एक कुशल प्रबंधक भी हैं। राजनीतिक कद को लेकर भाजपा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट भी जारी की थी।

   निर्बल पक्ष ये है कि एंटी इंकम्बेंसी का फैक्टर है। 10 साल से लगातार विधायक हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा व जोश की कमी नजर आ रही है। एक अच्छा-खासा वोट बैंक रखने वाली दो बिरादरियों में पकड़ की कमी खल रही है।

      कांग्रेस प्रत्याशी का सबल पक्ष ये है कि वो विवादों से दूर रहे हैं। कार्यकर्ताओं में प्रचार को लेकर जोश है। एक तय मत संख्या से शुरुआत कर रहे हैं। अपनी राजपूत बिरादरी को एकजुट करने में कुछ हद तक सफल हो रहे हैं।

निर्बल पक्ष ये है कि विपक्ष में होते हुए भी मुद्दों को प्रभावी ढंग से नहीं उठाया। पार्टी के भितरघात का खतरा मंडरा रहा है। अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ चंद महीने पहले नौबत एफआईआर तक जा पहुंची थी।

50 साल का लेखा-जोखा….

1972 से बात की जाए तो कांग्रेस का ग्राफ 70.95 प्रतिशत था। सुंदर सिंह ठाकुर विधायक बने थे। कांग्रेस विरोधी लहर में जनता पार्टी की श्यामा शर्मा 71.94 प्रतिशत वोट लेकर चुनाव जीती। कांग्रेस का ग्राफ गिर कर 27.15 रह गया था। 1982 में  भी श्यामा शर्मा ने चुनाव जीता।

     कांग्रेस के सुंदर सिंह पिछले चुनाव की तुलना में वोट बैंक में करीब एक प्रतिशत की वृद्धि ही कर पाए। 1985 में कांग्रेस ने हालांकि राजपूत प्रत्याशी कंवर अजय बहादुर सिंह पर ही दांव खेला था, लेकिन उनका ताल्लुक राजघराने से होने के कारण प्रभुत्व वाली राजपूत बिरादरी नाराज हो गई थी। हालांकि, कंवर अजय बहादुर सिंह चुनाव जीत गए थे, लेकिन जनता पार्टी की श्यामा शर्मा ने भी 46.24 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।

    1990 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर श्यामा शर्मा विधायक बनी थी। कंवर अजय बहादुर सिंह को कांग्रेस ने दूसरी बार टिकट दिया था। ये ऐसा चुनाव था, जब कोली बिरादरी व राजपूत बिरादरी के प्रत्याशी भी मैदान में उतरे थे। भाजपा के मंडल अध्यक्ष रहे दीन दयाल वर्मा ने कोली बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हुए 13.32 प्रतिशत वोट लिए थे। मुस्लिम प्रत्याशी भी मैदान में था। कांग्रेस के वोट बैंक का पोलराइजेशन होने के कारण श्यामा शर्मा को आसान जीत हासिल हुई थी।

प्रचार के दौरान डॉ अजय सोलंकी 

  1993 से कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के निर्माता डाॅ. वाईएस परमार के बेटे कुश परमार को पांवटा साहिब से नाहन शिफ्ट कर दिया। उनका सबल पक्ष ये भी था कि राजपूत बिरादरी से ताल्लुक रखते थे, लिहाजा जीत का सिलसिला शुरू कर दिया। 1993 के बाद 1998 में भी चुनाव जीते। 2003 में चौतरफा मुकाबले में लोक जनशक्ति पार्टी के सदानंद चौहान को जीत मिली।

2007 में कुश परमार तीसरी बार विधायक बने। 746 मतों से हार कर श्यामा शर्मा ने कैबिनेट मंत्री का पद खोया था। 2012 व 2017 का दौर डाॅ. राजीव बिंदल का शुरू हुआ। 2012 में 47.69 प्रतिशत वोट हासिल करने वाले डाॅ. बिंदल का ग्राफ 2017 में 51.3 प्रतिशत पहुंच गया। 2017 की तरह ही इस बार कांग्रेस व भाजपा में सीधी टक्कर है।

अजय सोलंकी की संपति 1.17 करोड़

सिरमौर जिला की हॉट सीट नाहन से कांग्रेस प्रत्याशी 51 वर्षीय अजय सोलंकी की संपत्ति 1.17 करोड़ है। इसमें उनके परिवार की चल संपत्ति 38 लाख और अचल संपत्ति 79 लाख है। चल संपत्ति के मामले में पत्नी के पास ज्यादा धनराशि है। चुनावी हलफनामे में अजय सोलंकी ने अपनी चल संपत्ति 3.25 लाख और पत्नी की 31 लाख दिखाई है। वहीं उनके बच्चों के नाम क्रमशः-दो और चार लाख रुपए हैं। उनके पास एक महिंद्रा गाड़ी और पत्नी के पास एक स्कूटी है। चल सम्पत्ति के नाम पर पत्नी के पास 21 लाख के जेवर हैं। अजय सोलंकी की उच्चतम शैक्षणिक योग्यता बीए प्रथम वर्ष है। वर्ष 1993 में उन्होंने कोटशेरा कॉलेज शिमला से बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा उतीर्ण की है।

राजीव बिंदल करोड़ो की संपति के मालिक

भाजपा विधायक व पार्टी उम्मीदवार राजीव बिंदल करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। उनकी कुल  संपत्ति  9.58 करोड़ है। इसमें चल  संपत्ति 2.10 करोड़ और अचल  संपत्ति  7.48 करोड़ है। राजीव बिंदल की ज्यादातर अचल संपत्ति  सोलन में है। चुनावी हलफनामे के मुताबिक उन पर 15.90 लाख की देनदारियां भी हैं। अचल  संपत्ति  में 63 लाख की संपत्ति उन्होंने खुद खरीदी है। उनके पास 2 गाड़ियां और छह लाख के जेवर हैं। वहीं पत्नी के पास 47 लाख के जेवर हैं। उनके नाम 93.93 लाख और पत्नी के नाम 97.93 लाख की चल संपत्ति है। राजीव बिंदल ने वर्ष 1978 में रोहतक यूनिवर्सिटी से आयुर्वेद में जीएएमएस की है।

आप के सुनील शर्मा की संपत्ति 25 लाख

नाहन के चुनावी रण में आम आदमी पार्टी ने युवा चहरे 40 वर्षीय सुनील शर्मा को उतारा है। सुनील शर्मा की  संपत्ति  25 लाख है। इसमें 10 लाख की चल और 15 लाख की अचल संपत्ति है। चल संपत्ति में उनके दो बैंक खातों में क्रमशः 998 रुपये और 10 हज़ार जमा हैं। इसके अलावा उन्होंने 10 लाख की एक पॉलिसी भी ली है। सुनील शर्मा की शैक्षणिक योग्यता बीए पास है।

50 साल में 11 चुनाव..

हालांकि, 50 साल में कांग्रेस ने 11 में से पांच चुनाव जीते। इसमें पांचों ही जीतने वाले राजपूत बिरादरी से थे। केवल कंवर अजय बहादुर सिंह का संबंध राजपूत होते हुए भी इस बिरादरी से नहीं था। डाॅ. राजीव बिंदल से पहले केवल श्यामा शर्मा ही थी, जो कांग्रेस की खिलाफत कर रही थी।

राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी के संस्थापक का ससुराल….
हिमाचल प्रदेश में तीसरे फ्रंट के रूप में राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी की स्थापना करने वाले रूमित ठाकुर का ससुराल भी नाहन विधानसभा क्षेत्र में है। रूमित की छात्र राजनीति भी नाहन से ही जुड़ी रही। पहले अटकलें थी कि वो नाहन से ही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन न तो खुद न ही उनकी पत्नी मैदान में कूदी। बल्कि बनेठी के रहने वाले सेलेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने अयोध्या प्रसाद वर्मा को मैदान में उतारा है। आजाद प्रत्याशी के तौर पर रमजान भी मैदान में हैं।