नाहन, 25 अक्तूबर : आखिरकार, कांग्रेस के दिग्गज नेता गंगूराम मुसाफिर ने बगावत कर कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है। सोमवार को समर्थकों के साथ सराहां में शक्ति प्रदर्शन किया। 1982 में आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीतने वाले मुसाफिर पहली बार विधायक बनते ही राज्य मंत्री बनने में कामयाब हुए थे।
40 साल बाद ऐसे हालात पैदा हुए कि उन्हें टिकट से इंकार किया गया। बता दें कि टिकट कटने के बाद मुसाफिर ने राजगढ़ में समर्थकों की बैठक बुलाई थी। इसके बाद ही नामांकन दाखिल करने का निर्णय हुआ। कांग्रेस ने मुसाफिर का टिकट काटकर दयाल प्यारी को पार्टी प्रत्याशी बनाया है।
मुसाफिर के समर्थक मंगलवार सुबह सराहां में जुटना शुरू हो गए थे। अहम बात ये है कि पार्टी ने चंद महीने पहले ही कांग्रेस के जिलाध्यक्ष के पद से पूर्व विधायक कंवर अजय बहादुर सिंह को हटाकर गंगूराम मुसाफिर को सिरमौर कांग्रेस का कार्यवाहक अध्यक्ष भी बनाया था।
मुसाफिर के समर्थकों के निशाने पर मंगलवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राजेश शुक्ला ही थे। समर्थकों ने शुक्ला के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। चूंकि, 29 अक्तूबर तक नामांकन वापस लिए जा सकते हैं, लिहाजा कांग्रेस भी पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र में डैमेज को कंट्रोल करने के प्रयास कर सकती है। बस स्टैंड के समीप स्टेडियम में हुई जनसभा में पूर्व मुख्यमंत्री ‘”वीरभद्र सिंह अमर रहे” के नारे भी लगे।