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कांग्रेस की शिमला रैली के मायने क्या? राजीव शुक्ला ने रैली में नहीं पहुंचे नेताओं को दिया कड़ा संदेश

शिमला में कांग्रेस की जनसभा कई सवाल छोड़ गई है। जिसके जबाब ढूंढने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने रैली में भारी भीड़ एकत्रित कर एकजुटता का संदेश दिया। ये मात्र भीड़ नही थी बल्कि सोई हुई कांग्रेस के लिए जागृति का भी समय था।  

शिमला में कांग्रेस की जनसभा कई सवाल छोड़ गई है। जिसके जवाब ढूंढने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने रैली में भारी भीड़ एकत्रित कर एकजुटता का संदेश दिया। ये मात्र भीड़ नहीं थी बल्कि सोई हुई कांग्रेस के लिए जागृति का भी समय था। जिसमें जोश और 2022 के मिशन को लेकर रणनीति भी थी। यही वजह है कि छोटे से लेकर सभी बड़े नेता इस भीड़ का हिस्सा बने। ये चाहे कांग्रेस पार्टी की मजबूरी समझो या जरूरत, लेकिन आपस में खींचतान करती रही कांग्रेस चुनावी वर्ष में एक मंच पर आकर एकजुट होने का प्रयास जरूर करती नज़र आई।

इस जनसभा में कांग्रेस के बड़े दिग्गज नज़र आए, लेकिन आशा कुमारी और सुधीर शर्मा रैली से नदारद दिखे। वजह क्या है अभी साफ नहीं हो पाया है। इस बीच हिमाचल कांग्रेस प्रभारी ने मंच से ये संदेश दिया कि जो नेता शिमला पहुंचे वह एकजुट हैं उनको कुछ न कुछ मिलेगा जबकि जो नहीं आए वह पीछे ही छूट गए। हालांकि आशा कुमारी शिमला में ही थीं लेकिन उनके पांव में आई मोच के चलते वह रैली में नहीं आ पाईं। आशा कुमारी ने साफ किया कि वह कांग्रेस की रैली में आना चाह रही थीं लेकिन उनके पांव में चोट के चलते पहुंच नहीं पाई।

मंच से विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने प्रभारी को ये साफ़ संदेश दे दिया कि टिकट आवंटन का जिम्मा जिसके भी पास हो लेकिन टिकट मैरिट के आधार पर दिए जाएं। जीत की क्षमता के आधार पर ही टिकट आवंटन हो और जीत की क्षमता रखने वाले क्षेत्रों को डिस्टर्ब न किया जाए। हम किसी गलत टिकट की वकालत नहीं करेंगे। गलत टिकट का साथ नहीं देंगे। बाकी जिसके साथ हाथ उसके हम साथ। जो भी हो कांग्रेस पार्टी की जनसभा हिमाचल कांग्रेस के लिए संजीवनी नज़र आ रही है। देखना यही है कि इसको कांग्रेस पार्टी चुनावों में कितना भुना पाती है?

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