अधर में फंसा 1,000 आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन निर्माण, जानें पूरा मामला

विधानसभा चुनाव को महज दो महीने बचे हैं। इस वित्तीय वर्ष में पहले चरण में 583 प्रीफे ब्रिकेटिड आंगनबाड़ी केंद्र बनने हैं। बाकी इसके बाद बनाए जाने प्रस्तावित हैं। राज्य विधानसभा में सीएम जयराम ठाकुर ने चार मार्च को अपना बजट भाषण देते हुए 1,000 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन बनाने के लिए 70 करोड़ रुपये की घोषणा की थी।

प्री फेब्रिकेटिड आंगनबाड़ी भवन।

हिमाचल प्रदेश में 1,000 आंगनबाड़ियों के भवन बनाने की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की बजट घोषणा अधर में फंस गई है। राज्य सरकार के वित्त विभाग ने इस घोषणा को धरातल पर उतारने के लिए पूरा बजट देने से साफ इनकार कर दिया है और महज 10 करोड़ रुपये ही थमाए हैं। इससे तो 100 केंद्र भी नहीं बन पाएंगे। राज्य महिला एवं बाल कल्याण निदेशालय ने इस घोषणा को जमीन पर उतारने पर हाथ खडे़ कर लिए हैं। हिमाचल प्रदेश रोपवे कॉरपोरेशन ने भी बिना बजट के टेंडर खोलने से इनकार कर दिया है।

विधानसभा चुनाव को महज दो महीने बचे हैं। इस वित्तीय वर्ष में पहले चरण में 583 प्रीफे ब्रिकेटिड आंगनबाड़ी केंद्र बनने हैं। बाकी इसके बाद बनाए जाने प्रस्तावित हैं। राज्य विधानसभा में सीएम जयराम ठाकुर ने चार मार्च को अपना बजट भाषण देते हुए 1,000 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन बनाने के लिए 70 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। हालांकि, 1,000 आंगनबाड़ियां बनाने का वास्तविक खर्च तो लगभग 100 करोड़ रुपये तक आ सकता है। वित्त विभाग से यह बजट जुटाकर राज्य महिला एवं बाल विकास निदेशालय ने यह बजट आगे रोपवे कॉरपोरेशन  को देना है। कारपोरेशन ने इसके लिए टेंडर तक लगवा दिए थे।
एक कंपनी ने पहले ही बना दिया मॉडल, उठ चुके हैं सवाल 
– इससे पहले एक प्रीफेब्रिकेटिड आंगनबाड़ी भवन का मॉडल तक घणाहट्टी के पास बना दिया गया था। टेंडर के लिए आवेदन करने वाली एक कंपनी से इसे पहले बनवा लेना भी सवालों के घेरे में रह चुका है।

‘हमारे पास केवल 10 करोड़ रुपये हैं। इसे रोपवे कारपोरेशन को दिया जा रहा है। इस बारे में वित्त विभाग को भी चिट्ठी लिखी जा चुकी है कि पर्याप्त बजट दिया जाए, मगर यह नहीं मिला है।’– रूपाली ठाकुर, हिमाचल प्रदेश महिला एवं बाल विकास निदेशालय, हिमाचल प्रदेश, शिमला 

‘अभी तक राज्य महिला एवं बाल विकास निदेशालय ने हमें कोई बजट नहीं दिया है। यह सही है कि हमने कंपनियों से टेंडर आमंत्रित कर दिए थे, मगर इन्हें तब तक नहीं खोला जा सकता है, जब तक तक हमें पैसा नहीं दिया जाता।’

अजय शर्मा, मुख्य महाप्रबंधक, रोपवे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डवेलपमेंट कारपोरेशन हिमाचल प्रदेश, शिमला