पंजाब में एमए के कोर्स में भिंडरावाले को आतंकवादी बताने पर उठा विवाद, एसजीपीसी ने जताई आपत्ति

चंडीगढ़. पंजाबी विश्वविद्यालय के एम.ए. राजनीति शास्त्र पाठ्यक्रम के एक हिस्से में कथित सिख नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले को आतंकवादी लिखे जाने का शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा विरोध किए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने उसे तुरंत पाठ्यक्रम से हटाने का फैसला लिया है. विभाग अब इस गलती को सुधारने के लिए कार्रवाई में जुट गया है. साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि इस तरह की सामग्री प्रकाशित कैसे हुई. राजनीति शास्त्र के एम.ए. के पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तक विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित की गई है. मामला विवादों के घेरे में आने के बाद पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के दूरस्थ शिक्षा विभाग के प्रमुख सतनाम सिंह संधू ने कहा कि ‘मुझे आपत्तिजनक सामग्री के बारे में पता चला है. हम इसे हटा देंगे और इस बात की जांच शुरू करेंगे कि यह पाठ्यक्रम का हिस्सा कैसे बना.’

जरनैल सिंह भिंडरावाले को आतंकवादी बताने पर एसजीपीसी को आपत्ति (News18)

इससे पहले अपमानजनक सामग्री पर आपत्ति जताते हुए एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह ने कहा कि ‘संत जरनैल सिंह भिंडरावाले को एम.ए. राजनीति शास्त्र के पाठ्यक्रम में एक आतंकवादी के रूप में वर्णित किया गया है. यह अस्वीकार्य भाषा एम.ए. राजनीति शास्त्र (चौथे सेमेस्टर पाठ्यक्रम) की पंजाबी माध्यम की किताब में मिली है. पंजाबी यूनिवर्सिटी की किताब के पेज 26 के बाद से ‘पंजाब दे सिख जंगजू आंदोलन दा विशालशन’ (पंजाब में सिख मिलिटेंट मूवमेंट का विश्लेषण) शीर्षक वाले अध्याय में भिंडरांवाले को निशाना बनाया गया है. इस पाठ्यक्रम में सिख संघर्ष के बारे में कई और विवादास्पद जानकारियां शामिल हैं. मैंने मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं. हमने पंजाबी यूनिवर्सिटी के कुलपति और संबंधित विभाग को पत्र लिखकर अपमानजनक सामग्री में संशोधन करने को कहा है.’

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हरजिंदर सिंह ने कहा कि ‘यह विश्वविद्यालय की पंजाब विरोधी और सिख विरोधी मानसिकता की अभिव्यक्ति के अलावा और कुछ नहीं है जो राज्य के शांतिपूर्ण माहौल को खतरे में डाल सकती है. उन्होंने कहा कि संत जरनैल सिंह भिंडरावाले एक कौमी शहीद थे. जिन्हें श्री अकाल तख्त साहिब ने शहीद घोषित किया था. उन्होंने सिखों और पंजाब के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान सेना के साथ संघर्ष में शहीद हो गए. अगर यूनिवर्सिटी ने कंटेंट में बदलाव नहीं किया और माफी नहीं मांगी तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.’