Cooking Oil Price Today: शादी-ब्याह का मौसम शुरू होने ही वाला है। इसके साथ ही जाड़े (Winter) की शुरूआत हो गई है। जाड़े की मांग तथा विदेशी बाजारों में तेजी की वजह से दिल्ली बाजार में सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखा है।
इसलिए बढ़ रही है कीमतें
बाजार से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि शादी-ब्याह के मौसम और जाड़े की मांग तथा विदेशी बाजारों में तेजी की वजह से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखा। उनके मुताबिक देश के एक प्रमुख तेल-तिलहन संगठन ने सरकार से मांग की है कि किसानों की मूंगफली, सोयाबीन सहित तमाम खरीफ फसलों के बाजार में आवक शुरू होने के मौके पर उन्हें बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के लिए सरकार को आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाना चाहिये। इन संगठनों को तब भी सरकार को ऐसे ही आगे बढ़कर परामर्श देना चाहिए था कि आयात के लिए कोटा निर्धारित न किया जाए। क्योंकि, इससे मंडियों में सूरजमुखी तेल के कम आपूर्ति की स्थिति पैदा होगी। ग्राहकों को राहत देने के मकसद से सरकार ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया था जब विदेशों में दाम काफी टूटे हुए थे और लगभग आधे रह गये थे। कोटा निर्धारित होने की वजह से कोटे वाले हिस्से का तो आयात हो रहा है, पर बाकी आयात, आयात शुल्क के अदायगी की वजह से महंगा बैठने के कारण एकदम ठप पड़ गया। इससे सूरजमुखी तेल के कम आपूर्ति की स्थिति पैदा हुई और खाद्य तेलों के दाम सस्ता होने के बजाय और बढ़ गये।
बाहर बढ़ा है प्रोडक्शन
कारोबारियों का कहना है कि मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में वर्ष 1990 में कच्चे पाम तेल (CPO) का उत्पादन लगभग 40-50 लाख टन का था। वहां की सरकारों के समर्थन की वजह से इन दिनों इसमें लगभग 20 गुने का इजाफा हुआ है। लेकिन हमारे देश में तिलहन उत्पादन में बहुत मामूली वृद्धि हुई है और हम आज भी अपनी जरुरत के लगभग 60 प्रतिशत खाद्य तेलों का आयात करते हैं। उनक कहना है कि इन तेल संगठनों को उस वक्त भी सरकार को उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए इस बात की सूचना देनी चाहिये थी जब सोची समझी साजिश के तहत वायदा कारोबार में आयात भाव के मुकाबले सीपीओ तेल का स्थानीय भाव लगभग पांच रुपये किलो नीचे चलाया जा रहा था। इस कदम से आयातक लगभग पूरी तरह से ध्वस्त हो गये और बैंकों से आयातकों द्वारा लिया गया भारी मात्रा में कर्ज डूब गया।
क्रूड पॉम ऑयल की कीमतों में गिरावट
सत्रों ने कहा कि क्रूड पाम ऑयल (CPO) का भाव काफी टूट चुका है। यह सबसे सस्ता होने की वजह से विदेशों में भी इस तेल की फिलहाल मांग है। इसके अलावा मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत होने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। उनका कहना है कि किसानों द्वारा नीचे भाव में अपनी उपज नहीं बेचने से सरसों और मूंगफली तेल- तिलहन कीमतों में सुधार आया। शिकॉगो एक्सचेंज की मजबूती की वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया।
मंगलवार को दिल्ली के बाजार में तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,250-7,270 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,895-6,960 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,575-2,835 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,950 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,280-2,410 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,350-2,465 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,800-20,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,480 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,280 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,750 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,310-5,360 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 5,110-5,160 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।