Coromandel Express: राजा का दर्जा हासिल है इस ट्रेन को, साल भर रहती है पूरी पैक, चेन्नई से विजयवाड़ा तक चलती है नॉन-स्टॉप

Coromandel Express Accident: कोरोमंडल एक्सप्रेस एक बार फिर हादसे का शिकार हो गई। यह ट्रेन देश की खास ट्रेनों में एक है, जो कोलाता के शालीमार से चेन्नई के बीच चलती है। इस ट्रेन को साउथ ईस्टर्न रेलवे में किंग यानी राजा का दर्जा प्राप्त है। जानिए इसमें ऐसा क्या है कि सालभर यह पैक रहती है।

 
Coromandel-Express
कोरोमंडल एक्सप्रेस को 1977 में शुरू किया गया था।
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे के प्रमुख ट्रेनों में से एक कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम को हादसे (Coromandel Express Accident) का शिकार हो गई। यह हादसा शाम करीब सात बजे हावड़ा से करीब 255 किलोमीटर दूर ओडिशा बाहानगा बाजार स्टेशन पर हुआ। इस हादसे में कम से कम 50 यात्रियों की मौत हो गई और 600 यात्री घायल हो गए। कोरोमंडल एक्सप्रेस हावड़ा के शालीमार स्टेशन से चेन्नई के बीच चलती है। रोज चलने वाली यह चार राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से गुजरती है। पहले यह हावड़ा से चेन्नई सेंट्रल के बीच चलती थी लेकिन पिछले साल जनवरी में इसका टर्मिनल हावड़ा से शालीमार कर दिया गया था। यह भारतीय रेलवे की शुरुआती सुपरफास्ट ट्रेनों में से एक है। कोलकाता से चेन्नई जाने वाले अधिकांश यात्री इसे पसंद करते हैं क्योंकि यह चेन्नई मेल से पहले पहुंच जाती है। यही वजह है कि यह ट्रेन पूरे साल खचाखच भरी रहती है।

इस ट्रेन की शुरुआत 1977 में हुई थी। तब यह हफ्ते में केवल दो दिन चलती थी और केवल विजयवाड़ा, विशाखापटनम और भुवनेश्वर में रुकती थी। तब यह सुपरफास्ट ट्रेन 1,662 किमी की यात्रा 23 घंटे 30 मिनट में पूरा करती थी। उस जमाने में यह शाम 17.15 बजे हावड़ा से चलती थी और अगले दिन 16.45 बजे चेन्नई पहुंचती थी। वापसी में यह 9.00 बजे चेन्नई से चलती थी और अगले दिन 8.30 बजे हावड़ा पहुंचती थी। बाद में इसके स्टॉपेज की संख्या बढ़ाई गई। खड़गपुर, बालासोर, भद्रक, खुर्दा रोड और ब्रहमपुर में स्टॉप बनाया गया। स्टॉपेज बढ़ने से ट्रेन का समय तीन घंटे बढ़ गया।

450 किमी नॉन-स्टॉप

हावड़ा-चेन्नई रूट पूर्वी तट पर मेन लाइन है। यह ट्रेन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से चेन्नई के बीच नॉन-स्टॉप चलती है। यानी करीब 450 किमी की दूरी के दौरान यह ट्रेन बार भी नहीं रुकती है और छह घंटे लगातार चलती रहती है। विजयवाड़ा और विशाखापटनम के बीच यह केवल दो स्थानों एलूरू और राजामुंद्री में रुकती है। इसके अलावा यह ब्रह्मपुर, खुर्दा रोड, भुवनेश्वर, कटक, भद्रक, बालासोर और खड़गपुर में रुकती है। इस ट्रेन के आंध्र प्रदेश में पांच, ओडिशा में सात और पश्चिम बंगाल में केवल दो स्टॉप हैं।

ट्रेन संख्या 12841 दोपहर बाद 15.20 बजे शालीमार से चलती है और अगले दिन करीब 16.50 बजे चेन्नई सेंट्रल पहुंचती है। वापसी में ट्रेन संख्या 12842 सुबह सात बजे चेन्नई सेंट्रल से चलती है और अगले दिन सुबह 10.40 बजे शालीमार पहुंचती है। फरवरी 2009 में भी यह ट्रेन दुर्घटना का शिकार हुई थी। यह हादसा भुवनेश्वर से 120 किमी उत्तर में जाजपुर क्योंझर रोड के करीब हुआ था। उस हादसे में 16 यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 161 घायल हो गए थी। तब चेन्नई जा रही इस ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

राजा का दर्जा

तमिलनाडु के महान चोल वंश ने जिस भूमि पर राज किया था उसे तमिल में चोलमंडलम कहते हैं। इसी से कोरोमंडल शब्द आया है। बंगाल की खाड़ी से लगे देश के पूर्वी तट को कोरोमंडल कोस्ट कहा जाता है। इसी से इस ट्रेन को कोरोमंडल एक्सप्रेस नाम दिया गया है। इसी वजह है कि यह पूरे कोरोमंडल कोस्ट से होकर गुजरती है। यह ट्रेन साउथ ईस्टर्न रेलवे जोन का हिस्सा है जिसे पहले बंगाल नागपुर रेलवे के नाम से जाना जाता था। यह ट्रेन 1662 किमी का सफर 25 घंटे 30 मिनट में पूरा करती है। इसकी अधिकतम रफ्तार 130 किमी प्रति घंटे है। शालीमार से चेन्नई जाते समय इसे सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है। यही वजह है कि इस ट्रेन को किंग ऑफ साउथ ईस्टर्न रेलवे भी कहा जाता है।