करौना महामारी ने काफी लोगो का जीवन व उनका कामकाज बदल कर रख दिया है | जिसका उदाहरण हिमाचल के सिरमौर में देखने को मिल रहा है | आप को यकीन नहीं होगा लेकिन सिरमौर के पहलवान के लिए कोरोना काल वरदान साबित हो रहा है | ऐसा हम इस लिए कह रहे है क्योंकि कोरोना काल जहाँ व्यवसायियों और पहलवानों के लिए बुरे दिन ले कर आया उनका काम काज ठप्प हो गया | लेकिन राजगढ के मढैडा गांव के पहलवान सोहन लाल ने हालात से हार नहीं मानी और उन्होंने बकरे बेचने का कार्य आरम्भ कर दिया | थोड़ी सी पूँजी से आरम्भ किया व्यवसाय अब लाखों तक पहुंच गया है | अब सोहनलाल पहलवान बकरा पालन से अच्छा लाभ भी कमा रहे है | मढैडा गाव का सोहन लाल पेशे से पहलवान था और करौना महामारी के कारण लगे लॉक डाऊन मे दंगल बंद हो चुके थे | आमदनी के सारे रास्ते बंद हो चुके थे | जिसके चलते सोहन लाल स परैशान रहने लगे ।इसी बीच सोहन लाल के दिमाग मे एक नया आईडिया आया और उसने बकरा पालन करने की सौची उसने पंजाब, हरियाणा ,उतराखंड आदि से तोता परी नस्ल के कुछ बकरे खरीदे और उन्है अच्छी तरह से पाला| उसके बाद उनको बेच कर अच्छा लाभ कमाया | उसके बाद बकरो की दूसरी खेप खरीदी जो अब काफी बडे हो गये है और इतने बडे है कि एक बकरे का वजन तो लगभग 92 किलो है | अभी सोहन लाल ने एक लाख सात हजार रूपये मे सात बकरो को बेचा है | अब सोहन लाल के पास दर्जनों बकरे है और उनके पास बकरो को खरीदने के लिए काफी डिमांड आ रही है |
यहा काबिले जिक्र है कि यहा पहाडी क्षेत्रो मे पलने वाले बकरो का वजन व आकार इतना बडा व अधिक नही होता मगर सोहन लाल का कहना है कि उन्हौने जो बकरे खरीद कर लाये है वह विशैष नस्ल के हैऔर वह उनके आहार मे विशैष चारे का प्रयोग करते है | जिससे बकरो का वजन व आकार सामान्य से काफी अधिक हो जाता है | यही कारण है कि सोहन लाल के पास बकरो की काफी डिमांड आ रही है चाहे कुछ भी हो पहलवान सोहन लाल को करौना महामारी ने बकरा पालक भले ही बना डाला पर सोहन लाल को इससे अच्छा लाभ हो रहा है