सोलन में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम हिमाचल प्रदेश के निर्धन नागरिकों की, आर्थिक स्थिति सुधारने का निरंतर प्रयास कर रहा है। ताकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के गरीब नागरिक अपना कारोबार बढ़ा सकें। उन्हें अन्य रोज़गार धंधे चलाने के लिए आर्थिक सहायता भी विभाग द्वारा दी जाती है। गरीब पात्र युवाओं को शिक्षा देने का प्रबंध भी किया जा रहा है ताकि वह धन के अभाव में भी अपनी शिक्षा पूर्ण कर सकें। निगम द्वारा इस जाति वर्ग के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। यह जानकारी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम के महाप्रबंधक अजय राघव ने मीडिया को दी।
महाप्रबंधक अजय राघव ने जानकारी देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के नागरिकों के उत्थान के लिए उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। जिसमे सरकार के माध्यम से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। जिसमें से स्वरोज़गार योजना है ,जिसमें 50 हज़ार रूपये तक का ऋण दिया जा रहा है। जिसमें दस हज़ार रूपये तक का अनुदान भी दिया जा रहा है। इसके अलावा हस्तशिल्प विकास योजना ,शिक्षा ऋण भी दिया जा रहा है। इन ऋणों पर बेहद कम ब्याज दर वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि उनके विभाग को जो लक्ष्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है वह उसे प्रत्येक वर्ष हासिल कर रहे है। उन्होंने बताया कि 13962 नागरिकों के करीबन 12 करोड़ के ऋण भी निगम द्वारा माफ़ किए गए हैं।
1 स्वरोजगार योजना
निगम द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति वर्ग के निर्धन परिवारों के आर्थिक उत्थान हेतु कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं जिसमें स्वरोजगार योजना प्रमुख है। इस योजना के अधीन निगम द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति के निर्धन परिवारों को मु. 50,000/-रू. तक की परियोजनायें चलाने हेतु ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। यह ऋण गरीबी की रेखा से नीचे तथा गरीबी की रेखा से दुगनी आय सीमा तक के व्यक्तियों को ही दिलवाया जाता है। इस योजना को दो भागों में बाटा गया है :- (1) स्वरोजगार योजना (प्रथम) (2) स्वरोजगार योजना (द्वितीय)
2 हस्त शिल्प विकास योजना
प्रायः यह देखा गया कि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के निर्धन ग्रामीण शिल्पकार अपनी थोड़ी सी कार्य पूँजी की आवश्यकता के लिए वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेने में कठिनाई का अनुभव करते थे । इस कठिनाई को दूर करने के उद्वेश्य से निगम ने प्रति शिल्पी अधिकतम मु. 5,000/-रू. तक की कार्यशील पूँजी उपलब्ध करवाने की योजना शुरू की ताकि सुगमता से उनकी यह जरूरत पूरी हो सके।
योजना का शुभारम्भ : वर्ष 1997-98 योजना : शिल्पियो को कार्यशील पूँजी सहायता प्राप्त करने के लिये एक पंजीकृत समूह/सभा का गठन करना होता है अधिकतम ऋण सीमा मु. 5,000/-रू.प्रति शिल्पी दो वर्षों तक ब्याज मुक्त, यद्यपि समूह/ अपने प्रशासनिक व्यय हेतु अपने शिल्पी सदस्य से 2 प्रतिशत ब्याज ले सकती है ।
3 हिम स्वावलम्बन योजना
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम के सहयोग से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के महत्वकांक्षी युवाओं को मु.50,000/-रू. से अधिक परियोजना लागत के ऋण, सस्ते ब्याज पर उपलब्ध करवाये जाते है । यह वित्तीय सहायता, टैक्सी वाहन, मिनी बस, ट्रक, ट्रेक्टर होटल, ढाबा, लघु व्यवसाय आदि के लिये दी जाती है । योजना का शुभारम्भ : वर्ष 1992-93 योजना : अधिकतम ऋण सीमा मु. 50,000/- के ऊपर व : मु. 30 लाख रू. तक ब्याज दर 5 लाख रू. तक के ऋण पर 6 प्रतिशत 5 लाख रू. से अधिक के ऋण पर 8 प्रतिशत।
4 शिक्षा ऋण योजना
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के निर्धन परिवारों के मेधावी छात्र जो धन के अभाव से अपनी व्यवसायिक व तकनीकी उच्च शिक्षा अध्ययन को जारी नहीं रख सकते हैं उनके लिए निगम, ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण प्रदान करता है ताकि वे अपना अध्ययन जारी रख सके। योजना का शुभारम्भ : वर्ष 1992-93 योजना : मैट्रिक स्तर के ऊपर व्यवसायिक एंव तकनिकी विषयों में मान्यता: प्राप्त शिक्षा संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों को ब्याज मुक्त शिक्षा ऋण उपलब्धकरवाना। ऋण सीमा : अधिकतम मु.75,000/-रूपये। ब्याज दर : मु.75000/- रूपये तक का ऋण ब्याज मुक्त। मु0 75,000/- रुपये से ऊपर मु0 1,50,000 /- रुपये त्तक का ऋण 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर ।