बॉम्बे हाई कोर्ट ने नेशनल हाई स्पीड रेल कोरपोरेशन (National High Speed Rail Corporation, NHSRCL) को 20,000 मैंग्रूव के पेड़ काटने की इजाज़त दे दी है. मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन के लिए पालघर, ठाणे जैसे ज़िलों में मैंग्रूव के पेड़ काटे जाएंगे. मुंबई से अहमदाबाद के बीच दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन के लिए 508 Km ट्रैक बनाया जाएगा. महाराष्ट्र में 156 Km ट्रैक, दादरा और नगर हवेली में 4 Km और गुजरात में 348 Km ट्रैक बनाया जाएगा.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने दी 20 हज़ार मैंग्रूव काटने की मंज़ूरी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीफ़ जस्टिस दिपांकर दत्ता और जस्टिस अभय अहूजा की पीठ ने NHSRCL को 20 हज़ार मैंग्रूव पेड़ काटने की इजाज़त दे दी. NHSRCL ने बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोजेक्ट के ‘पब्लिक इम्पोर्टेंस’ का हवाला देकर अर्ज़ी डाली थी.
Live Law की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने पहले NHSRCL को काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या कम करने का आदेश दिया था. NHSRCL की तरफ़ से कोर्ट में हाज़िर हुए एडवोकेट प्रह्लाद परांजपे और एडवोकेट मनीष केल्कर ने बताया कि काटे जाने वाले पेड़ों की संक्या 53,467 से घटाकर 21,997 की गई है.
बुलेट ट्रेन की राह में आने वाले मैंग्रूव पेड़ों को बचाने की जरूरत क्यों है?
साइंस डेली की एक रिपोर्ट के अनुसार, मैंग्रtव वन जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि से तटीय क्षेत्रों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इनकी जाली जैसी जड़ें जमीन में मिट्टी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और यह आने वाली तरंगों और ज्वरीय धाराओं की स्पीड कम करने में मददगार होते हैं.
मैंग्रूव वन अपने क्षेत्र में पायी जाने वाली अनेक प्रजातियों को आश्रय देते हैं. सूर्य की तेज किरणों तथा पराबैंगनी-बी किरणों से बचाव की क्षमता रखते हैं. वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को घटाने में सहायक हैं. बावजूद इसके सरकार अपनी बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए इनको खत्म करने पर आमादा है.
बाढ़ रोकते हैं मैंग्रूव (पेड़)
बाढ़, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं मैंग्रूव पेड़. यही नहीं वर्षावनों से पांच गुना ज़्यादा कार्बन डायऑक्साइड खींचते हैं. 2018 के हाई कोर्ट के एक ऑर्डर के अनुसार, किसी पब्लिक प्रोजेक्ट के लिए अगर मैंग्रूव पेड़ काटने पड़े तो इसके लिए भी हाई कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ती है.
5 गुना ज़्यादा पेड़ लगाने का आश्वासन दिया
NHSRCL ने 2020 में ही बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्ज़ी डाली थी. कंपनी ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वो 5 गुना ज़्यादा पेड़ लगाएंगे. NGO बॉम्बे एन्वायरंमेंटल एक्शन ग्रुप ने इस अर्ज़ी का विरोध किया था. इस NGO ने चिंता जताते हुए कहा था कि लगाए गए पौधे बचेंगे या नहीं इस विषय में कोई स्टडी नहीं हुई है. NGO ने ये भी कहा था कि पेड़ गिराने के बाद पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव करेगा इसकी भी रिपोर्ट नहीं दी गई है.
कई NGOs और पर्यावरण एक्टिविस्ट्स ने NHSRCL का विरोध किया है. NHSRCL ने NGOs के विरोध पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जितनी भी मंज़ूरियां लेनी थी वो ले चुके हैं.
भले ही एनएचएसआरसीएल मुआवजे और 32,044 मैंग्रोव को काटने के बाद लगभग 1,60,220 नए पेड़ लगाने की बात कर रहा हैय मगर सवाल अभी भी वहीं है कि पर्यावरण के लिए हम कितने संवेदनशील हैं?