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रेलवे क्रॉसिंग पर गुजरते समय आपने एक पुरुष को गेटमैन के तौर पर क्रॉसिंग बंद करते और खोलते देखा होगा. लेकिन लखनऊ मुख्यालय से तक़रीबन 12 किलोमीटर दूर मल्हौर रेलवे क्रॉसिंग पर एक महिला पिछले 10 वर्षों से यह काम करती आ रही है, और समाज को संदेश दे रही है कि महिलाएं किसी भी काम में पुरुषों से पीछे नहीं हैं.
यहां 29 वर्षीय सलमा बेग की बात हो रही है, जो 2013 में देश की पहली गेटवुमन बनीं थीं. 19 वर्ष की उम्र से ही सलमा लोहे के भारी चक्के को घुमाकर फाटक बंद और खोल रही हैं. सलमा के लिए सफर आसान नहीं रहा. रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उन्हें खूब ताने मारे. लेकिन उनके हौसलों को नहीं तोड़ पाए.
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पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने किया विरोध, पिता ने दिया साथ
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सलमा के पिता रेलवे में गेटमैन की नौकरी करते थे. बीमार होने की वजह से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. उन्हें कम सुनाई देने लगा था. सलमा की मां को भी लकवा मार गया था. घर में कोई दूसरा कमाने वाला नहीं था. तब सलमा की उम्र 19 साल थी. सलमा ने पिता से गेटवुमन बनने की बात कही.
रेलवे विभाग के लोग एक लड़की को गेटवुमन के तौर पर देख आश्चर्य थे. हिजाब में एक लड़की को देखकर वो आपस में बातें करते कि चार दिन में ही नौकरी छोड़ भाग जाएगी. उनके सिलेक्शन पर पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने विरोध किया. उन्हें ताने मारे, लेकिन सलमा का हौसला बुलंद था. ट्रेनिंग पूरी की करने के बाद सलमा के पिता एक महीने तक बेटी के साथ ड्यूटी पर जाते रहे. जब सलमा इस काम को बखूबी करने में माहिर हो गईं. तब से वह अकेले इस काम को अंजाम दे रही हैं. आज सलमा को बतौर गेटवुमन काम करते हुए करीब 10 साल हो गए हैं
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पति भी नहीं चाहते थे नौकरी करें, लेकिन…
12 घंटे की ड्यूटी करना सलमा के लिए आसान नहीं था. लेकिन उन्होंने कर दिखाया. आज लोग उनके कामों की सराहना करते हैं और साथ में तस्वीर लेते हैं. रेलवे विभाग के कर्मचारी भी उनकी खूब तारीफें करते हैं.
एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान सलमा बताती हैं कि इस काम की वजह से शादी तय होने के दो साल बाद विवाह हुआ. उनके होने वाले पति नहीं चाहते थे कि सलमा गेटवुमन की नौकरी करें. लेकिन सलमा ने उन्हें बताया कि वह यह नौकरी नहीं छोड़ेंगी. अब उनके पति भी इस बात को समझते हैं और उनका सपोर्ट करते हैं. सलमा का एक साल का बेटा भी है. वो परिवार के साथ अपनी नौकरी की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं