आ गया कोर्ट का फैसला… ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी केस में आगे भी होगी सुनवाई, हिंदू पक्ष में खुशी की लहर

Gyanvapi Masjid Decision: वाराणसी अदालत ने ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों के संरक्षण को लेकर हिंदू पक्ष में फैसला दे दिया है। जिला जज ए के विश्‍वेश की अदालत मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद केस में आगे सुनवाई होगी।

वाराणसी: उत्तर प्रदेश की वाराणसी में जिला अदालत ने ज्ञानवापी (Gyanvapi Case) मामले पर अहम फैसला दे दिया है। सोमवार को ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और विग्रहों के संरक्षण को लेकर फैसला दिया है, जिससे हिंदू पक्ष में खुशी की लहर फैल गई है। जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्‍वेश की अदालत मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद केस में आगे सुनवाई होगी। कोर्ट को आज यही फैसला करना था कि यह याचिका सुनने योग्य है या फिर नहीं। वहीं मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई है।

जज ने जैसे ही आदेश दिया, हर-हर महादेव के नारे लगने लगे। इस मामले में याचिकाकर्ता महिलाओं का कोर्ट परिसर में स्वागत किया गया। सभी पक्षकार और वकील कोर्ट रूम में मौजूद रहे। जज का फैसला करीब 15 से 17 पेज का है। अदालत परिसर से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मौजूद रहे। यह आदेश ऑर्डर 7 रूल नंबर 11 के आधार पर दिया गया। इसको यदि आसान भाषा में समझा जाए, तो इसके तहत कोर्ट किसी केस में तथ्यों की मेरिट पर विचार करने के बजाए सबसे पहले ये तय किया जाता है कि क्या याचिका सुनवाई करने लायक है भी या नहीं।

यह पूरे हिंदू समुदाय की जीत है। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। यह फैसला ज्ञानवापी मंदिर के शिलान्यास का पत्थर है। सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील है।
सोहनलाल आर्य, हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता

कोर्ट के फैसले के बाद हिंदू पक्ष की महिला याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने खुशी से सराबोर होकर कहा, ‘आज पूरा भारत खुश है। सभी हिंदू भाइयों और बहनों से अपील है कि आज घर में दिया जरूर जलाएं।’

हम फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। जज साहब ने फैसला सांसद के कानून को दरकिनार कर दिया। ऊपरी अदालत के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं। न्यायपालिका आपकी है। आप सांसद के नियम को नहीं मानेंगे। सब लोग बिक गए हैं।
मेराजुद्दीन, अंजुमन इंतजामिया कमिटी के वकील

ज्ञानवापी प्रकरण के मद्देनजर वाराणसी पुलिस कमिश्‍नर ए. सतीश गणेश के आदेश के बाद कमिश्‍नरेट क्षेत्र में धारा-144 लागू है। पुलिस और प्रशासनिक अमला हाई अलर्ट पर है। सभी थानेदार, एसीपी, एडीसीपी और डीसीपी को अतिरिक्‍त सतर्कता के साथ ड्यूटी कर रहे हैं। सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है। पुलिस धर्मगुरुओं के लगातार संपर्क में है।

वाराणसी की जिला जज की अदालत में 26 मई से सुनवाई शुरू होने पर पहले 4 दिन मुस्लिम पक्ष और बाद में वादी हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं। इसके बाद दोनों पक्षों ने जवाबी बहस की और लिखित बहस भी दाखिल की। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ज्ञानवापी मस्जिद वक्‍फ की संपत्ति है। आजादी के पहले से वक्‍फ ऐक्‍ट में दर्ज है। इससे संबंधित दस्‍तावेज भी पेश किए गए। वहीं मस्जिद के संबंध में 1936 में दीन मोहम्‍मद केस में सिविल कोर्ट और 1942 में हाई कोर्ट के उस फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि यह मुकदमा सीपीसी ऑर्डर-7 रूल 11 के तहत सुनवाई योग्‍य नहीं है।

उधर, हिंदू पक्ष की ओर से वक्‍फ संबंधी दस्‍तावेजों को फर्जी बताने के साथ कहा गया कि ज्ञानवापी में नीचे आदि विश्‍वेश्‍वर का मंदिर है। ऊपर का स्‍ट्रक्‍चर अलग है। जब तक किसी स्‍थल का धार्मिक स्‍वरूप तय नहीं हो जाता तब तक प्‍लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्‍ट-1991 प्रभावी नहीं माना जाएगा। जिला जज ने 24 अगस्‍त को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।