Covid-19: डरा रहे हैं कोरोना के बढ़ते केस, अब नवजात भी सुरक्षित नहीं, अध्ययन में इस खतरे को लेकर अलर्ट

Covid-19: डरा रहे हैं कोरोना के बढ़ते केस, अब अनवजात भी सुरक्षित नहीं, अध्ययन में इस खतरे को लेकर लर्ट

नवजात में कोरोना संक्रमण का खतरा

देश में पिछले एक महीने से कोरोना संक्रमण के मामले में लगातार उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। बुधवार को पिछले चार महीने में पहली बार एक दिन में सबसे ज्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टी की गई, इस दौरान 18,819 लोगों को संक्रमण का शिकार पाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट्स ने सभी लोगों में संक्रमण के जोखिम को बढ़ा दिया है, इस खतरे को समझते हुए इससे बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहना बहुत आवश्यक है। ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स को बढ़ते संक्रमण के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है, इन्हें अध्ययनों में अति संक्रामक वैरिएंट्स के तौर पर वर्गीकृत किया गया है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फिलहाल कोरोना के संक्रमण से किसी को भी सुरक्षित नहीं माना जाता सकता है। भले ही आपने वैक्सीनेशन करा लिया है फिर भी संक्रमण से बचे रहने के लिए सभी लोगों को कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना चाहिए।

अब तक के अध्ययनों में बताया जाता रहा है कि बच्चों में संक्रमण का खतरा कम होता है, हालांकि एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि नवजात बच्चे भी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, कैसे, आइए जानते हैं?

नवजात शिशु में कोरोना का जोखिम

मां से बच्चों में संक्रमण का जोखिम

महाराष्ट्र में किए गए इस अध्ययन में डॉक्टर्स ने पाया कि अगर मां, कोरोना से संक्रमित है तो उससे नवजात शिशुओं में भी वायरस का संचरण हो सकता है, इतना ही नहीं अगर गर्भावस्था के दौरान महिला संक्रमित रही है तो बच्चा संक्रमण के साथ भी जन्म ले सकता है।

पुणे में 304 नवजात शिशुओं (301 माताओं से) पर किए गए इस शोध में विशेषज्ञों ने पाया कि 15 में से एक बच्चे को मां से कोविड-19 का संक्रमण हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस जोखिम को लेकर सभी को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल तथा मुंबई के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ के विशेषज्ञों ने यह अध्ययन किया। जून 2020 से दिसंबर 2021 तक किए गए अध्ययन में विशेषज्ञों ने पाया कि कोविड-19 संक्रमित रहे 20 में से छह शिशुओं में कोरोना के गंभीर लक्षण विकसित हुए और लंबे समय तक इन्हें आईसीयू में रखने की जरूरत पड़ी, हालांकि किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई।

अब तक माना जाता आ रहा था कि बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होता है, हालांकि इस अध्ययन में कई तरह की नई और हैरतअंगेज बातें पता चली हैं। 

कोरोना के जोखिम को लेकर अध्ययन

एसिम्टोमैटिक मां से भी हो सकता है संक्रमण
माताओं से नवजात शिशुओं में कोविड संचरण के अध्ययन में पाया गया कि भले ही मां में संक्रमण के एसिम्टोमैटिक लक्षण हों, फिर भी उनसे नवजातों में संक्रमण प्रसारित हो सकता है। अध्ययन में संक्रमित पाए गए शिशुओं में से, चार का जन्म एसिम्टोमैटिक लक्षण वाली माता से हुआ था।

बीजे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज की प्रमुख शोधकर्ता डॉ आरती किनिकर कहती है, फिलहाल अच्छी बात यह है कि संक्रमण से ठीक हो चुके बच्चों (गंभीर लोगों सहित) के फॉलो-अप से पता चलता है कि वे सभी अब स्वस्थ हैं।

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संक्रमण के दौरान स्तनपान कितना सुरक्षित?
इस अध्ययन के बारे में बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल के डीन  डॉ विनायक काले कहते हैं, मां से बच्चों में संक्रमण के जोखिम को लेकर महामारी की शुरुआत से ही चर्चा की जाती रही है, इस अध्ययन से काफी कुछ स्पष्ट होता है। हमने पाया कि मां अगर कोविड के सभी प्रोटोकॉल का पालन करती रहती है तो बच्चों में संक्रमण के खतरे को रोका जा सकता है। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते हुए स्तनपान कराने को भी सुरक्षित पाया गया है हालंकि इस दौरान मास्क पहनना आवश्यक है। कोरोना के खतरे से बचाव को लेकर सभी लोगों को लगातार ध्यान देते रहने की आवश्यकता है।
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