गोमूत्र, गोबर, घास और केंचुआ…ये खेती है नई, बढ़ी किसान की आमदनी

राजस्‍थान के नागौर में भी सरकार की ऑर्गेनिक खेती की मुहिम रंग ला रही है. नागौर के सुखवासी गांव के प्रगतिशील किसान डालूरम खिलेरी इस समय कीटनाशक और रोगरोधी दवाइयों के बजाए ऑर्गेनिक खेती का बढ़ावा दे रहे हैं. (रिपोर्ट-कृष्‍ण कुमार)
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नागौर: केंद्र और राज्‍य सरकार की ऑर्गेनिक खेती की मुहिम को बढ़ावा देने के लिए जागरूक किसान आगे आ रहे हैं. इस बीच नागौर के सुखवासी गांव के प्रगतिशील किसान डालूरम खिलेरी ने ऑर्गेनिक खेती का तरीका अपनाया है. इसके साथ वह अन्‍य लोगों को ऑर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण देते हैं.1/ 5

नागौर: केंद्र और राज्‍य सरकार की ऑर्गेनिक खेती की मुहिम को बढ़ावा देने के लिए जागरूक किसान आगे आ रहे हैं. इस बीच नागौर के सुखवासी गांव के प्रगतिशील किसान डालूरम खिलेरी ने ऑर्गेनिक खेती का तरीका अपनाया है. इसके साथ वह अन्‍य लोगों को ऑर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण देते हैं.

डालूराम ने बताया कि पारपंरिक तरीके की खेती करने के साथ केंचुआ खाद बनाने की जानकारी कृषि विभाग और आकाशवानी केन्द्र से मिली थी. साथ ही बताया कि वह पिछले 5 वर्षों से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. वहीं, ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंचुए की खाद बनाकर राज्य के कई जिलों में भेज रहे हैं. इससे उनकी आय में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.2/ 5

डालूराम ने बताया कि पारपंरिक तरीके की खेती करने के साथ केंचुआ खाद बनाने की जानकारी कृषि विभाग और आकाशवानी केन्द्र से मिली थी. साथ ही बताया कि वह पिछले 5 वर्षों से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. वहीं, ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंचुए की खाद बनाकर राज्य के कई जिलों में भेज रहे हैं. इससे उनकी आय में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

किसान डालूरम खिलेरी ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए एक सीमेंट की कुंडी में गोमूत्र, गोबर और घास फूस इत्यादि मिलाकर उसमें केंचुआ डाल देते हैं. यह खाद तैयार होने में 60 से 90 दिन लगते हैं. उनका कहना है कि यूरिया से खेती करने भूमि की उपजाऊ क्षमता घटती है. साथ ही लोगों की सेहत पर असर पड़ता है जिससे कई बीमारियां पैदा होती है. उन्होंने बताया कि लोगों को ऑर्गेनिक खेती की जानकारी देने खुशी होती है.3/ 5

किसान डालूरम खिलेरी ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए एक सीमेंट की कुंडी में गोमूत्र, गोबर और घास फूस इत्यादि मिलाकर उसमें केंचुआ डाल देते हैं. यह खाद तैयार होने में 60 से 90 दिन लगते हैं. उनका कहना है कि यूरिया से खेती करने भूमि की उपजाऊ क्षमता घटती है. साथ ही लोगों की सेहत पर असर पड़ता है जिससे कई बीमारियां पैदा होती है. उन्होंने बताया कि लोगों को ऑर्गेनिक खेती की जानकारी देने खुशी होती है.

केंचुआ द्वारा तैयार की गई खाद खेती करने पर 6 से 8 फीसदी जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है और मिट्टी स्वस्थ रहती है. इसके अलावा कृषि में 20 से 30 फीसदी फसल का उत्पादन बढ़ जाता है और खेत में कोई प्रकार का रोग उत्पन्न नहीं होता है.4/ 5

केंचुआ द्वारा तैयार की गई खाद खेती करने पर 6 से 8 फीसदी जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है और मिट्टी स्वस्थ रहती है. इसके अलावा कृषि में 20 से 30 फीसदी फसल का उत्पादन बढ़ जाता है और खेत में कोई प्रकार का रोग उत्पन्न नहीं होता है.

केंचुआ की खाद से बदबू नहीं आती है और मक्खी मच्छर नहीं बैठते हैं जिससे वातावरण शुद्ध रहता है. सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ नाइट्रोजन दो से तीन प्रतिशत, फास्फोरस करीब तीन प्रतिशत और पोटाश दो प्रतिशत रहता है. वर्मी कम्पोस्ट की वजह से भूमि में खरपतवार कम होते हैं और मिट्टी की PH संतुलित रहता था.5/ 5

केंचुआ की खाद से बदबू नहीं आती है और मक्खी मच्छर नहीं बैठते हैं जिससे वातावरण शुद्ध रहता है. सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ नाइट्रोजन दो से तीन प्रतिशत, फास्फोरस करीब तीन प्रतिशत और पोटाश दो प्रतिशत रहता है. वर्मी कम्पोस्ट की वजह से भूमि में खरपतवार कम होते हैं और मिट्टी की PH संतुलित रहता था.