Credit Card Fraud: क्रेडिट कार्ड के बोनस पाइंट कैश कराने के नाम पर 200 लोगों से ठगी, ऐसे बनाते थे लोगों को शिकार

रोहिणी जिले की साइबर थाना पुलिस ने क्रेडिट कार्ड के नाम पर ठगी करने वाले एक गिरोह को पर्दाफाश कर एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने या फिर क्रेडिट कार्ड के बोनस पाइंट को कैश कराने के नाम पर ठगी करते थे। ये एसबीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड के धारकों के साथ ही ठगी करते थे। ऐसे में किसी एसआईबी बैंक के कर्मचारी की मिलीभगत सामने आ सकती है। 

आरोपी करीब दो से ढ़ाई वर्ष से ठगी कर रहे हैं और अभी तक 200 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके हैं। आरोपी के पास से ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाले तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। रोहिणी जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार सेक्टर-9, रोहिणी निवासी शिखर गुप्ता (27) अपने साथ हुई 81552 रुपये की शिकायत साइबर पोर्टल पर दर्ज कराई थी। शिखर गुप्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि 14 जून को उसके पास एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को एसबीआई बैंक कस्टूमर केयर एजेंट बताया और क्रेडिट कार्ड के बोनस पाइंट कैश कराने के नाम पर उसके क्रेडिट कार्ड से 81552 रुपये निकाल लिए। 

मामला दर्जकर रोहिणी साइबर थाना प्रभारी अजय दलाल की देखरेख में एसआई प्रवीण नरवाल, एसआई मनीष कुमार व हवलदार मोहित की टीम ने जांच शुरू की। आरोपी ने जिस मोबाइल नंबर से फोन किया उसकी डिटेल खंगाली गई। ये भी पता लगा कि नो ब्रोकर एप्लीकेशन से पीड़ित के खाते से पैसे ट्रांसफर किया गया है। 

आखिरकार इंस्पेक्टर अजय दलाल की टीम ने जालसाजी करने वाले एक गिरोह के सदस्य सेक्टर-14 द्वारका निवासी प्रवीण (29) को गिरफ्तार कर लिया। गिरोह में करीब चार से पांच सदस्य हैं। गिरोह में हर सदस्य का काम अलग होता था। आरोपी प्रवीण ने बताया कि वह एसबीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को डाटा हिमांशु से लेता था। आरोपी हिमांशु फरार है। उसके पकड़ में आने के बाद ही पता लगेगा कि उसे एसबीआई क्रेडिट कार्ड बैंक के ग्राहकों का डाटा कैसे मिलता था। 

आरोपी ऐसे करते थे ठगी
ये एसबीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड धारकों को डाटा एकत्रित एक उन्हें कॉल करते थे। आरोपी उन्हें या तो क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने या फिर क्रेडिट कार्ड के खरीददारी के समय एकत्रित हुए बोनस पाइंट को कैश कराने की कहते थे। पीड़ित जब हां कर देता था आरोपी पीड़ित को एक लिंक भेजते थे और उसे में डिटेल भरवाते थे। पीड़ित जैसे ही लिंक को क्लिक करता था उसका फोन हैक हो जाता था और कंट्रोल आरोपी के पास चला जाता था। इसके बाद जो ओटीपी आता था वह आरोपियों के पास भी जाता था। उस ओटीपी का इस्तेमाल कर आरोपी पीड़ित के खाते से पैसे निकाल लेते थे। शुरूआती जांच में ये बात सामने आई है कि ये 200 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके हैं।