नई दिल्ली. दुनिया में बेहतरीन क्रिकेटरों की लंबी लिस्ट है. लेकिन ऐसे खिलाड़ी कम ही हैं जिन्हें विरोधी खिलाड़ी भी जेंटलमैन कहें, जिनके निस्वार्थ खेल की दुनिया गवाही दे. जो यह जानते हुए भी कैच लपक ले कि ऐसा करने से वह एक पारी में 10 विकेट लेने का विश्व रिकॉर्ड बनाने से चूक जाएगा. 3 जुलाई ऐसे ही खिलाड़ी का जन्मदिन है. नाम है रिचर्ड हैडली. दुनिया के महान ऑलराउंडरों में शुमार हैडली टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 400 विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. आज जब रिचर्ड हैडली (Richard Hadlee Birthday) अपना जन्मदिन मना रहे हैं तो क्यों ना हम उनके कुछ यादगार प्रदर्शन को याद करें.
3 जुलाई 1951 को जन्मे रिचर्ड हैडली (Richard Hadlee) ने 86 टेस्ट और 115 वनडे मैच खेले. साल 1990 में जब उन्होंने संन्यास ले लिया तो उनके नाम 431 टेस्ट विकेट लेने समेत कई विश्व रिकॉर्ड थे. लेकिन हम यहां उनके रिकॉर्ड की बात नहीं करेंगे. रिकॉर्ड तो बनते हैं और टूटते हैं. लेकिन खिलाड़ी की खेलने की शैली, शख्सियत, जिंदादिली हमेशा कायम रहती है. न्यूजीलैंड के रिचर्ड हैडली को भी दुनिया उनके रिकॉर्ड से ज्यादा उनकी शख्सियत के लिए सलाम करती है.
सबसे पहले रिचर्ड हैडली से जुड़ा वह किस्सा, जिसके बाद उनके नाम के साथ ‘कैच ऑफ द सेंचुरी’ जुड़ गया. वह 1985 का साल था. ब्रिस्बेन में मेजबान ऑस्ट्रेलिया का सामना न्यूजीलैंड से था. रिचर्ड हैडली ने इस मैच की पहली पारी में 9 विकेट झटके थे. उन्होंने अपनी सटीक गेंदबाजी से यूं कहर बरपाया कि ऑस्ट्रेलिया ने 175 रन पर 8 विकेट गंवा दिए. हैडली अपने करियर का बेस्ट प्रदर्शन कर चुके थे और अब एक पारी में 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड उनके सामने था. तभी उनके पास एक मुश्किल कैच आया. निस्वार्थ खेल के लिए पहचाने जाने वाले हैडली ने ज्योफ लासन का यह कैच लपकने में कोई गलती नहीं की. इस तरह वॉन ब्राउन को अपने टेस्ट करियर का पहला विकेट मिला और पारी में 10 विकेट लेने का मौका हैडली के हाथ से निकल गया. अंग्रेज पत्रकार फ्रैंक केटिंग ने इसे ‘कैच ऑफ द सेंचुरी’ कहा है. इसलिए नहीं कि यह दुनिया का सबसे मुश्किल कैच था. बल्कि इसलिए कि जो खिलाड़ी यह कैच ले रहा था, उसके पास एक पारी में 10 विकेट लेने का मौका था और उसे यह पता था कि यह कैच लेने से वह इस रिकॉर्ड को अपने नाम करने से चूक जाएगा. इसके बावजूद उसने यह कैच लिया. फ्रैंक केटिंग ने इयान बॉथम, जेफ्री बॉयकॉट, ग्राहम गूच के अलावा इंग्लिश क्रिकेट पर कई किताबें लिखी हैं.
हालांकि, 1970 से 1990 का क्रिकेट देखने-जानने वालों के लिए रिचर्ड हैडली का कैच लेना कोई बड़ी बात नहीं थी. क्रिकेटप्रेमी तो उनके ऐसे सैकड़ों मौकों के गवाह थे, जब इस खिलाड़ी ने अपने निस्वार्थ खेल से क्रिकेट का गौरव बढ़ाया था. भारत को विश्व चैंपियन बनाने वाले कप्तान कपिल देव तो उनकी गेंदबाजी की तुलना कंप्यूटर से करते हैं. न्यूज18 हिंदी के एक कार्यक्रम में कपिल कहते हैं कि हैडली ऐसे गेंदबाज थे, जो एक ही जगह पर लगातार गेंदबाजी कर सकते थे. बिलकुल कंप्यूटर की तरह, जिसमें गलती की गुंजाइश ना हो. कपिल अपनी बात को और समझाते हुए कहते हैं कि हैडली ऐसे गेंदबाज थे, जो लेगसाइड पर सिर्फ दो फील्डर रखकर दिनभर गेंदबाजी कर सकते थे और इस दौरान उनसे गलती की उम्मीद करना बेकार है.
यह संयोग ही है कि कपिल देव ने ही रिचर्ड हैडली का 431 टेस्ट विकेट लेने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ा था. हैडली ना सिर्फ टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज हैं. बल्कि जब उन्होंने संन्यास लिया तो उनके नाम 431 टेस्ट विकेट लेने का विश्व रिकॉर्ड भी था. हैडली का यह रिकॉर्ड कपिल देव ने 1994 में तोड़ा था. रिचर्ड हैडली के नाम 86 टेस्ट मैच में 431 विकेट और 3124 रन दर्ज हैं. वनडे क्रिकेट में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा. उन्होंने 115 वनडे मैचों में 158 विकेट झटके और 1751 रन भी बनाए. हैप्पी बर्थडे रिचर्ड हैडली. आपके इस प्रदर्शन को क्रिकेटप्रेमी हमेशा याद रखेंगे.