कमर के नीचे का हिस्सा अपंग, फिर भी नहीं मानी हार, चंडीगढ़ की पहली व्हीलचेयर फूड डिलीवरी वूमेन हैं विद्या

Chandigarh First Wheel Chair Food Delivery Girl: विद्या ने बताया कि जब वो अपनी इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर पर खाना डिलीवर करने जाती हैं तो लोग उन्हें बहुत स्पोर्ट करते हैं। कुछ लोग तो उनसे बात भी करना चाहते हैं, लेकिन काम अधिक होने के चलते वो उनसे ज्यादा बात नहीं कर पाती हैं।

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चंडीगढ़ की ‘डिलीवरी गर्ल’ विद्या एक मिसाल हैं।

चंडीगढ़: कहते हैं कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत! अगर आपके मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति और लगन है तो रास्ते में आने वाली कोई भी कठिनाई रास्ता नहीं रोक सकती है। ऐसी ही एक कहानी है बिहार के समस्तीपुर के छोटे से गांव की विद्या की। विद्या की कमर से नीचे का भाग काम नहीं करता, इसके बावजूद वो लाखों करोड़ों लोगों के लिए मिसाल हैं। शारीरिक विकलांगता होने के बाद भी विद्या फूड डिलीवरी जैसा मुश्किल काम करती हैं। वो चंडीगढ़ की पहली फूड डिलीवरी वुमेन हैं।

विद्या ने नवभारत टाइम्स के साथ बातचीत में बताया कि वह चंडीगढ़ से नहीं हैं। इसके बावजूद वह शहर की सड़कों पर गूगल मैप का सहारा लेकर फूड डिलीवरी की इस जॉब से जुड़ी हुई हैं। विद्या ने बताया कि 2007 में वो एक हादसे का शिकार हो गई थी। जब वो साइकिल चला रही तो पुल से नीचे गिर गई। इस हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और कमर से नीचे का हिस्सा अपंग हो गया था।
11 साल तक बेड पर रही
विद्या इस हादसे के बाद 11 सालों तक बेड पर पड़ी रही। इलाज के दौरान किसी भी डॉक्टर ने उन्हें यह नहीं कहा कि वह जिंदगी में दोबारा चल पाएंगी। माता पिता से जितना हो सका उन्होंने इलाज करवाया। यही नहीं लंबे समय तक बेड पर रहने के चलते उन्हें प्रेशर अल्सर भी हो गए थे। अभी भी उन्हें बेडसोरस की दिक्कत की संभावना बनी रहती है।

विद्या चंडीगढ़ में डिलवरी गर्ल के नाम से मशहूर

कैसे पहुंचीं चंडीगढ़
विद्या को उसके किसी जानकार ने चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब सेंटर के बारे में बताया। सेंटर ने उनके परिवार से संपर्क किया और वो 2017 में चंडीगढ़ आ गई। सेंटर ने पहले उनका बेडसोल का ऑपरेशन करवाया। उसके बाद उन्हें इस हालत के जीने के लिए रिहैब किया। सेंटर के अन्य साथियों को देखकर उनकी जीने की चाह बढ़ने लगी।

राष्ट्रीय स्टर पर टेबल टेनिस भी खेलती हैं दिव्या
विद्या ने बताया कि अब उसके आत्मनिर्भर बनने और जॉब लगने पर माता-पिता बेहद खुश हैं। 11 सालों तक उन्होंने बहुत सेवा की और लोगों के ताने भी सहे। बता दें कि विद्या ने दिव्यांग श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबॉल खेली। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस भी खेलती हैं। इसके अलावा वो स्विमिंग भी करती हैं।