3 लाख में बिकी फसल, संस्कारधानी जबलपुर में किसान ने अश्वगंधा की खेती से हैरान किया,

 मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की ससंकरधानी कही जाने वाले जबलपुर (Jabalpur) शहर में भी लोग अजीब काम कर देते हैं। यहाँ लोग एक दूसरे को बड्डे कहकर पुकारते हैं। बड्डे का मतलब बड़े भाई होता है। यहाँ लोग खेती भी लम्बे समय से करते आये हैं। ऐसे ही जबलपुर के एक किसान ने खेती में एक नया प्रयोग करके सभी को हैरान कर दिया है।

यहां किसान ने पहली बार औषधीय गुणों (Medicinal Properties) के फायदे देने वाले अश्वगंधा की फसल (Withania somnifera) उगाई है। औषधीय गुणों से भरपूर अश्वगंधा आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण जड़ी बूटी बताई गई है। इसका उपयोग इम्यूनिटी बढ़ाने से लेकर ताकत बढ़ने में ही होता है। अश्वगंधा सेवन के कई फायदे है।

वैसे तो अश्वगंधा (Ashvaganadha) के लिए एशिया की मंडी के तौर पर मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिले का नाम सबसे आगे है। परन्तु अब जबलपुर में भी एक किसान ने अश्वगंधा की फसल (Ashwagandha Farming in Jabalpur) तैयार कर दी है।

इससे पहले भी जबलपुर में अश्वगंधा की खेती (Ashvaganadha Ki Kheti) की पहल करने की कोशिश की गई थी, लेकिन नेताओ और अफसरों ने जलवायु के विपरीत होने और ज़मीन भगी अश्वगंधा की खेती के योग्य ना होने की बात कहकर मना कर दिया था। इस बात दावों के उलट कृषि वैज्ञानिकों की गए के उलट आज अश्वगंधा की फसल देखि जा सकती है।

जबलपुर जिले के विकासखंड पाटन के ग्राम भरतरी में कुछ किसानों ने 10 एकड़ ज़मीन में अश्वगंधा की खेती कर सबको सोचने पर मज़बूर कर दिया है। युवा किसान दुर्गेश पटेल (Durgesh Patel) ने खेती में अपनाप्रयोग किया, जो सफल रहा। किसान ने इस काम में कामयाब होने के लिए पिछले साल एक एकड़ में 50000 रुपये की राशि से अश्वगंधा लगाया था।

अश्वगंधा खरीदने वाली कंपनी ने उपज की क्वालिटी के लिए किसान की प्रशंसा की है। किसान दुर्गेश ने एक हिंदी अख़बार को बताया की इस अश्वगंधा की फसल में यह अच्छी बात है की इसका बीज, जड़ और पेड़ से निर्मित भूसा, जिसे आयुर्वेद में पंचांग कहा जाता है, सब कुछ काम आता है और इसके खरीदार भी मिल जाते हैं।