नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी बाजार (Cryptocurrency) में आई भारी गिरावट के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं. इस गिरावट ने एक ओर जहां क्रिप्टो निवेशकों (Crypto investors) के करोड़ों रुपये डूब गए हैं, वहीं क्रिप्टो के कारोबार से जुड़ी कई कंपनियों की भी हालत पतली कर दी है. टोरंटो स्थित क्रिप्टोकरेंसी ऋणदाता कंपनी Voyager Digital भी क्रिप्टो में आई गिरावट का शिकार हो गई है. कंपनी कंगाल हो चुकी है और अब उसने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन किया है. Voyager ने अपने चैप्टर 11 की बैंकरप्सी फाइल की है. ऐसा करने पर अब कंपनी के खिलाफ चल रहे मुकद्दमे होल्ड हो जाएंगे.
गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले ही कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर क्रिप्टोकरेंसी निकालने, जमा करने या ट्रेडिंग करने पर रोक लगा दी थी. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने एक हफ्ते बाद बैंकरप्सी के लिए आवेदन जमा करते हुए बताया कि अब वह अन्य रणनीतिक विकल्पों की तलाश करेगी, जिसके लिए उसे समय चाहिए. टोरंटो स्थित Voyager का अनुमान है कि उसके पास 1 लाख लेनदार थे. कंपनी के पास कई अरब डॉलर के क्रिप्टो एसेट्स थे.
मिल गई टर्नअराउंड की इजाजत
चैप्टर 11 के बैंकरप्सी फाइल करने की वजह से कंपनी के खिलाफ चल रहे सभी मुकद्दमे अभी निलंबित हो गए हैं. यही नहीं, कंपनी को अब टर्नअराउंड यानी कंपनी को दोबारा पटरी पर लाने की योजना तैयार करने की अनुमति भी मिल गई है. पिछले हफ्ते क्रिप्टो हेज फंड Three Arrows Capital (3AC) ने चैप्टर 15 के लिए बैंकरप्सी फाइल की थी. इस कदम से कंपनी को ये फायदा होगा कि कंपनी के ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स बिजनेस को बेचा जाएगा तो उसकी अमेरिकी परिसंपत्तियां बच जाएंगी.
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भारत में भी मुश्किल समय से गुजर रही इंडस्ट्री
भारत में भी क्रिप्टो इंडस्ट्री घटती वॉल्यूम, टैक्स और नए TDS के नियम लागू होने से जूझ रही है. क्रिप्टो ट्रांसफर पर टीडीएस लगाने का उद्देश्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से संबंधित सभी लेन-देन का ब्यौरा हासिल करना है. क्रिप्टो पर अब सट्टे से जुड़ी गतिविधियों जैसे जुआ, और लॉटरी से होने वाले लाभ के बराबर टैक्स लगाया जाता है. डिजिटल एसेट्स को हाइएस्ट टैक्स बैंड में डाल दिया जाता है.