सीएंडवी शिक्षकों ने भी मांगा टीजीटी पदनाम

शास्त्री व भाषा शिक्षकों के पदनाम की अधिसूचना होने के बाद एक ओर झटका लगा है। सरकारी स्कूलों में लगे कई कला व भाषा शिक्षकों के पास बीएड नहीं है। इस वजह से उनके पदनाम में कोई भी बदलाव नहीं होगा। शिक्षकों का कहना है कि सीएंडवी संघ का एक बहुत बड़ा कुनबा है, जिसमें 16000 शास्त्री, भाषा अध्यापक, कला अध्यापक, शारीरिक शिक्षक, क्राफ्ट अध्यापक, संगीत शिक्षक, उर्दु पंजाबी शिक्षक आदि आदि सम्मिलित हैं। इस अधिसूचना से इस वर्ग के मात्र 500 से 700 अध्यापक लाभान्वित हो रहे है, बाकी की एक बड़ी अध्यापको की संख्या सरकार के इस निर्णय की भीतर ही भीतर अप्रसन्नता का भाव जाहिर कर रही है।

शिक्षकों का आरोप है कि 2011 से पूर्व विभाग में सेवारत सभी अध्यापक तत्कालीन वांछित योग्यताओं को पूरा कर ही विभाग में नियुक्त हुए हैं। अब यदि 2011 के बाद सरकार ने वांछित योग्यताओं में बदलाव किया है या बीएड की उपाधि को अनिवार्य किया है तो इस से पूर्व विभाग में सेवा दे रहे अध्यापकों का क्या दोष है।
राजकीय कलासिक्ल एंड वर्णेकुलर अध्यापक संघ ने सरकार द्वारा हाल ही में भाषा अध्यापक और शास्त्री अध्यापकों को दिए गए टीजीटी पदनाम की अधिसूचना जारी करने के साथ ही प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री प्रधान शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक का आभार भी प्रकट किया है। शिक्षकों का कहना है कि संघ की चिरकाल से चली आ रही मांग को सरकार ने जायज समझते हुए पूरा किया है, परन्तु संघ सरकार के ध्यान में लाना चाहता है कि इस मांग की पूर्ति होने में अभी भी बहुत सी खामियां रह गई हैं।