तुनक तुन तारा रा’ जैसे गानों से एक दौर में धूम मचाने वाले दलेर मेंहदी के खिलाफ 19 सितंबर, 2003 को कबूतरबाजी के आरोप में केस दर्ज किया गया था। 15 साल बाद 16 मार्च 2018 को पटियाला की जुडिशियल मैजिस्ट्रेट निधि सैनी की अदालत ने मेहंदी को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया और उन्होंने दो साल की सजा सुनाई थी।
चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कबूतरबाजी के मामले में सजा काट रहे प्रसिद्ध गायक दलेर मेहंदी को राहत दी है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को उन्हें 19 साल पुराने केस में जमानत दे दी। दलेर बीती 23 जुलाई से पटियाला की जेल में बंद हैं। उनपर साल 2003 में कबूतरबाजी का केस दर्ज हुआ था। दलेर और उनके भाई शमशेर सिंह पर लोगों से मोटी रकम वसूलकर उन्हें अपने ग्रुप का सदस्य बनाकर गैरकानूनी ढंग से विदेश भेजने के आरोप थे। 15 साल बाद 16 मार्च 2018 को पटियाला की जुडिशियल मैजिस्ट्रेट निधि सैनी की अदालत ने मेहंदी को धोखाधड़ी और साजिश रचने का दोषी पाया और उन्होंने दो साल की सजा सुनाई थी। कबूतरबाजी मामले में तीन साल से कम सजा के कारण दलेर मेहंदी को तुरंत जमानत मिल गई थी। इस मामले के दो आरोपी शमशेर सिंह और ध्यान सिंह की पहले ही मौत हो चुकी है, जबकि मामले के अन्य आरोपी बुलबुल मेहता को बरी किया गया था। अदालत ने 2000 रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
दलेर मेहंदी ने सजा को रद्द करने की अपील की थी। पटियाला के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने दलेर की याचिका रद्द कर सजा को बरकरार रखा था। अदालत के फैसले के बाद उन्हें 23 जुलाई को गिरफ्तार करके पटियाला जेल भेज दिया था। दलेर लगातार हाईकोर्ट में याचिका लगा रहे थे। शुरू में अदालत ने यह कहते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया था कि उन्हें जेल गए बहुत कम समय हुआ है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने मेहंदी की याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दे दी।
पंजाब में यूज होता है टर्म
कबूतरबाजी एक खेल होता है, जिसमें कबूतरों को लड़ाया जाता है। लखनऊ, पुरानी दिल्ली, हैदराबाद और आगरा समेत कई इलाकों में यह कबूतरबाजी का खेल प्रसिद्ध है, जो नवाबों को पसंद हुआ करता था। लेकिन इस केस में कबूतरबाजी की मतलब कबूतरों का खेल नहीं बल्कि अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजना होता है। कबूतरबाजी शब्द सबसे ज्यादा पंजाब में फेमस है। यहां पर अवैध तरीके से लोगों को विदेश भेजने के टर्म में यही शब्द यूज होता है।
विदेश जाने का ख्याब बढ़ा रहा कबूतरबाजी
पंजाब में विदेश जाकर कमाने और वहां बसने या फिर अपने देश लौटने का किस्सा नया नहीं है। पंजाब से विदेश जाने वालों की संख्या में खासी तेजी आई है। किसी अमीर देश की नागरिकता या वहां स्थायी रूप से रहने का जुगाड़ पैसे के बल पर करना असंभव नहीं। पंजाब के अधिकांश लोग कनाडा जाते हैं और दूसरे नंबर पर अमेरिका उनकी पसंद है। उन्हें जब विदेश जाने के लिए वीजा नहीं मिलता है तो वे एजेंट्स के चक्कर में पड़ जाते हैं। एजेंट्स उन्हें अवैध तरीके से विदेश भेजने का जुगाड़ करते हैं। इसके लिए वह कोड यूज करते हैं कि कबूतरबाजी से भेजा जा सकता है।
इसलिए अवैध तरीके से विदेश जाने को कबूतबाजी कहा जाता है
पहले जमाने में कबूतर संदेश लाने-ले जाने का काम करते थे। उसके पैरों पर संदेश बांध दिए जाते थे। कबूतरों को किसी भी टिकट, वीजा या पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती है। वह उड़ते हुए बिना किसी दस्तावेज के कहीं भी जा सकते हैं। पहले जमाने में सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कबूतर ऐसे ही करते थे। ऐसे में इसी को लेकर पंजाब में शब्द कबूतरबाजी यूज किया जाने लगा।
जानें दलेर मेंहदी का पूरा कबूतरबाजी केस क्या है
– 19 सितंबर, 2003 को दलेर मेंहदी के खिलाफ कबूतरबाजी यानी मानव तस्करी के आरोप में केस दर्ज किया गया था।
– आरोप है कि दलेर मेंहदी अपने भाई शमशेर सिंह के साथ मिलकर अवैध इमिग्रेशन ग्रुप चलाते थे। इसके जरिए वह 1998 और 1999 में दो दौरों के दौरान वह 10 लोगों को अमेरिका ले गए थे और उन्हें छोड़कर लौट आए।
– दलेर और शमशेर लोगों को अपना क्रू मेंबर बताकर विदेश ले जाते थे। दर्ज केस के मुताबिक दलेर मेंहदी तीन लड़कियों को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को छोड़ आए थे।
– अक्टूबर 1999 में एक और ट्रिप पर गए और न्यू जर्सी में तीन लड़कों को छोड़ आए।
– कबूतरबाजी के ऐसे ही एक मामले के शिकार हुए बख्शीश सिंह ने पटियाला में दोनों भाइयों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसके बाद करीब 35 लोग सामने आए थे, जिन्होंने दलेर और शमशेर पर फ्रॉड करने का आरोप लगाया।
– शिकायतकर्ताओं का आरोप था कि दोनों भाइयों ने उनसे अमेरिका भेजने के लिए पैसे लिए थे। लेकिन, ऐसा नहीं कर सके।
– पटियाला पुलिस ने इसके बाद दलेर मेंहदी के नई दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित दफ्तर पर छापेमारी की थी, जिसमें कुछ लोगों से पैसे वसूली के दस्तावेज मिले थे।