हड़ताल और आंदोलन की वजह से रेलवे को 2019-20 में 151 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसी तरह 2020-21 में 904 करोड़ रुपये और 2021-22 में 62 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस साल सिर्फ अग्निपथ स्कीम के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान रेलवे की 260 करोड़ रुपये की संपत्तियां स्वाहा हुईं।
रेलवे को 259.44 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि इस साल आगजनी और तोड़फोड़ से रेलवे को 259.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ये आंकड़ा तो सिर्फ संपत्ति को हुए नुकसान का है। विरोध-प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर ट्रेनें रद्द हुई थीं, रेल सेवाएं प्रभावित हुई थीं। इस वजह से रेलवे को पैसेंजर्स को जो रिफंड देना पड़ा, वह इसमें शामिल नहीं है।
14 जून से 22 जून तक यात्रियों को रिफंड के रूप में देने पड़े 103 करोड़
वैष्णव ने बताया कि 14 जून से 22 जून तक ट्रेनें निरस्त होने की वजह से कुल 102.96 करोड़ रुपये किराये की वापसी की गई। इसी अवधि में अग्निपथ योजना के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे।
हड़ताल और आंदोलन से रेलवे को 4 सालों में 1376 करोड़ रुपये का नुकसान
रेल मंत्री ने सदन को बताया कि हड़ताल और आंदोलन की वजह से रेलवे को 2019-20 में 151 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसी तरह 2020-21 में 904 करोड़ रुपये और 2021-22 में 62 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस साल सिर्फ अग्निपथ स्कीम के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान रेलवे की 260 करोड़ रुपये की संपत्तियां स्वाहा हुईं। इस तरह 2019 से लेकर अबतक रेलवे को 1376 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मंत्री ने कहा कि रेलवे को हड़तालों और आंदोलनों की वजह से 2019-20 में 151 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है, वहीं 2020-21 में उसे 904 करोड़ रुपये और 2021-22 में 62 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
‘अग्निपथ’ के विरोध की आग में 2 जिंदगियां खाक, 35 जख्मी
रेल मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि अग्निपथ स्कीम के खिलाफ देशभर में हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान रेलवे परिसरों में 2 लोगों की मौत हुई। 35 जख्मी हुए। रेलवे परिसरों में हुई हिंसा और आगजनी को लेकर देशभर में 2,642 लोगों को गिरफ्तार किया गया। रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के सिलसिले में दर्ज मामलों की संख्या 2019 में 95, 2020 में 30 और 2021 में 34 रही। उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष में कानून व्यवस्था की स्थिति की वजह से रेलवे की संपत्ति को सर्वाधिक नुकसान बिहार और तेलंगाना में पहुंचा।
टिकट के रूप में लागत का तकरीबन आधा ही वसूलता है रेलवे
रेलवे को यात्री ट्रेनों से घाटा ही होता है। मालगाड़ी से अगर उसकी कमाई नहीं होती तो रेलवे का भट्ठा बैठ जाता। रेलवे हर यात्री से टिकट के रूप में औसतन यात्रा लागत का आधा ही वसूलता है। अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में एम आरिफ के एक सवाल के लिखित जवाब में भी इसका जिक्र किया। उन्होंने बताया, ‘भारतीय रेल पहले से ही वरिष्ठ नागरिकों समेत यात्रियों के लिए यात्रा लागत पर 50 प्रतिशत से अधिक का खर्च पहले से वहन कर रही है। इसके अलावा, कोविड-19 के कारण पिछले दो वर्षों की रेलवे की कमाई 2019-20 की तुलना में कम रही। इसका रेलवे की वित्तीय सेहत पर भी दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।’