60 Kg सोना दान किया दानवीर ने काशी विश्वनाथ मंदिर में, 30 करोड़ के सोने से गर्वग्रह गोल्डन हुआ

पूरे देश ने इस बार की महाशिवरात्रि बड़े ही धूम धाम से मनाई। पिछले 2 सालों से महामारी के चलते लोग अच्छे से महाशिवरात्रि त्यौहार नहीं मना पा रहे थे। महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) का एक भक्त पूरे देश में छाया हुआ हैं।

बाबा के प्रति अपनी भक्ति के चलते इस श्रद्धालु ने मंदिर में 60 किलोग्राम सोना दान दिया है। हमारे देश में लोग थोड़ा बहुत दान करके भी मीडिया और सोशल मीडिया की सुर्खियों में आना चाहते हैं, वहीं इस दानवीर भक्त ने गुप्त दान किया है। उनकी पहचान उजागर नहीं की गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है की इस अनजान दानी द्वारा दान किये गए 60 किलो सोने में से 37 किलोग्राम सोने को गर्भगृह की अंदर की दीवारों पर चढ़ाया (Kashi Vishwanath gets a Golden Makeover) गया है। 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले मंदिर प्रशासन से एक श्रद्धालु ने भेंट कर बातचीत की थी। उन्होंने इतना सोना दान किया, लेकिन मंदिर और प्रशासन से अपना नाम बहार ना लाने की अपील भी की। अब इसे गुप्त दानी नाम दिया हां रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस खबर की पुष्टि करते हुए डिविजनल अधिकारी दीपक अग्रवाल ने बताया कि एक अज्ञात श्रद्धालु द्वारा काशी मंदिर के लिए 60 किलोग्राम सोना (60 KG Gold) दान किया गया है। इसी सोने में से 37 किलो का उपयोग मंदिर गर्भगृह की भीतरी दीवारों पर किया गया है और अब 23 किलो सोना बचा गया है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन हुआ था

आपको बता दें की देश की मोदी सरकार द्वारा काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के नाम से 900 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना शुरू की गई थी। इसमें 300 से अधिक इमारतों को खरीदा और कुछ का अतिक्रमण किया गया था। जिससे कि इन्हें हटा कर मंदिर क्षेत्र को 2,700 वर्ग फुट से 5 लाख वर्ग फुट तक बनाकर जलासेन, मणिकर्णिका और ललिता घाटों के माध्यम से गंगा नदी के साथ जोड़कर परिक्रमा मार्ग बनता जा सके।

अब दूसरी बार चढ़ रहा सोना

ज्ञात हो की 18वीं शताब्दी के बाद काशी मंदिर के किसी भी हिस्से पर सोने की परत चढ़ाने की यह दूसरी खबर है। काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास की बात करें, तो साल 1777 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था और पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjeet Singh) ने लगभग एक टन सोना दान किया था। फिर उस सोने का उपयोग मंदिर के दो गुंबदों को ढंकने के लिए करवाया गया था।