भारत-पाकिस्तान के सीमा पर बसे चक 24 पीडी में राम सिंह ने 16 एकड़ में खजूर का पेड़ (Dates Farming) लगाया है. पढ़िए Economic Times हिंदी की रिपोर्ट
राजस्थान के इन इलाकों में जहां खेती की संभावनाएं नहीं के बराबर हैं, रामसिंह विश्नोई अपने खेतों में खजूर का पेड़ लगाकर काफी कमाई कर रहे हैं. भारत-पाकिस्तान के सीमा पर बसे चक 24 पीडी में राम सिंह ने 16 एकड़ में खजूर का पेड़ लगाया है. इस इलाके में 11000 खजूर के पेड़ लगाकर रेतीली जमीन को राम सिंह ने आबाद कर दिया है. 1 एकड़ में उन्होंने खजूर के 70 पेड़ लगाए हैं. रामसिंह विश्नोई मेडजूल, खलास, बरही और खूनेजी वैरायटी के खजूर की खेती कर रहे हैं.
रामसिंह विश्नोई के 16 एकड़ के खजूर के खेत को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे यह अरब देश का कोई खजूर का बागान हो. रामसिंह विश्नोई के पुत्र ने कहा है कि अगर खजूर की खेती अच्छे तरीके से की जाए और उसके फल को खुद बेचा जाए तो एक पेड़ ₹50,000 तक की कमाई दे सकता है. खजूर के खेत में ऑफशूट तरीके के नए पौधे तैयार किए जा सकते हैं. भारत में सालाना 50,00,00 टन से अधिक खजूर आयात होता है, इस हिसाब से देश में इसकी खेती की भरपूर संभावनाएं हैं और किसानों को इससे काफी फायदा हो सकता है.
खजूर के पेड़ ऑफशूट, टिशु कल्चर या सीड से तैयार की जा सकती है. खजूर की कई वैरायटी हजार रुपए किलो से ₹1500 प्रति किलो तक मिलती है. खजूर के एक पेड़ में 50 किलो तक खजूर का उत्पादन होता है. अगर जैसलमेर के किसान राम सिंह की बात करें तो 16 एकड़ में 11000 खजूर के पेड़ से उन्हें औसतन 40 किलो प्रति पेड़ तक उपज मिल रही है.
राम सिंह बिश्नोई के पुत्र ने कहा कि अगर आप खजूर उपजाने के बाद उसकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की जिम्मेदारी उठा लें तो खजूर की खेती देश में सबसे लाभदायक खेती में से एक साबित हो सकती है.