देश की बेटियां अब हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. कभी लड़कियों के लिए सेना में भर्ती होना एक सपना हुआ करता था लेकिन आज देश की बेटियों ने अपने लिए इस क्षेत्र के दरवाजे भी खोल लिए हैं. ऐसी ही जांबाज बेटियों में एक नाम कांगड़ा जिले के कुंसल गांव की प्रियंका राणा का भी है.
गांव की बेटी बनी सेना में लेफ्टिनेंट
प्रियंका राणा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं. बैजनाथ के माउंट कॉर्मेल स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने वाली प्रियंका ने 12वीं की पढ़ाई दिल्ली से की है. प्रियंका राणा ने 20 मई 2022 को सेना में शॉर्ट सर्विस कमिशन नॉन टेक्निकल वुमन प्राप्त किया और 29 अप्रैल 2023 को चेन्नई से पास आउट हुईं. प्रियंका ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया था. और आज उन्होंने अपने इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है.
स्वर्गीय पिता से मिली प्रेरणा
प्रियंका के स्वर्गीय पिता भारतीय सेना में नायब सूबेदार थे. 18 साल पहले प्रियंका के सिर से उनका साया उठ गया. पिता के निधन के बाद उनकी मां ने ही उन्हें पाला. उनकी मां सरिता राणा भारतीय सेना के कार्यालय में सेवाएं दे रही हैं. वहीं प्रियंका राणा के भाई अंशुल राणा 12वीं पास करने के बाद एनडीए के तहत चयनित हुए हैं. फिलहाल वह केरल में अपना कोर्स पूरा कर रहे हैं.
सेना में लेफ्टिनेंट बन प्रियंका जब अपने गांव कुंसल पहुंची तो यहां उनका भव्य स्वागत हुआ. गांव की बेटी की इस उपलब्धि पर यहां हर कोई खुश है. यहां पहुंचने पर पंचायत की प्रधान सपना कुमारी, संजय राणा, पंकज कुमार, बंदना समेत सभी लोगों ने प्रियंका राणा का स्वागत किया.
इन महिलाओं ने भी किया ये कमाल
प्रियंका राणा से पहले भी देश की कई बेटियां इस क्षेत्र में प्रवेश कर महिलाओं का नाम रोशन कर चुकी हैं. ऐसे उदाहरण देते हुए सबसे पहले राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ की वंशिका पांडे का नाम भी याद आता है. जो 2022 में राज्य की पहली महिला लेफ़्टिनेंट बनी थीं. राजनांदगांव की लेफ़्टिनेंट वंशिका पांडे बचपन से ही मेधावी छात्रा थीं. वंशिका जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान अक्सर आर्मी कैंट जाया करती थीं. वहां उन्होंने कुछ अफ़सरों से बात की और सेना जॉइन करने की इच्छा ज़ाहिर की.
इसी कड़ी में एक नाम मध्य प्रदेश के रीवा के शहीद लांस नायक दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह का भी आता है. दीपक सिंह 15 जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के धोखे से किए गए हमले का जोरदार मुकाबला करते हुए शहीद हो गए थे. उन्होंने अपने साथियों के साथ चीनी सैनिकों से लड़ते हुए उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था.
उनकी शहादत के बाद उनकी पत्नी रेखा सिंह ने सरकारी टीचर की नौकरी छोड़ दी और सेना में जाने की तैयारी करने लगी. दो साल की कड़ी मेहनत के बाद रेखा ने अपने पति के सपनों को आखिरकार सच कर दिखाया. गलवान घाटी में शहीद लांस नायक दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह सेना में लेफ्टिनेंट बन गईं. वह 29 अप्रैल को पासिंग परेड में शामिल हुई थीं.