पूर्वजों की जन्मभूमि खोजते भारत आए डेविड, 116 साल बाद आपस में मिली चौथी पीढ़ी… भावुक कर देगी ये कहानी

116 साल पहले आजमगढ़ के रहने वाले रामखेलावन गिरमिटिया मजदूर बनकर मॉरिशस गए थे। वहां से वह त्रिनिदाद और फिर अमेरिका चले गए। आज उनके ही परिवार के डेविड अपनी चौथी पीढ़ी से मिलने के लिए भारत आए हैं।

डेविड कैनन पहुंचे आजमगढ़

डेविड कैनन पहुंचे आजमगढ़
अमन गुप्ता, आजमगढ़ः उतर प्रदेश के आजमगढ़ का एक मामला अब सुर्खियों में बना है जिसमें सात समुंदर पार अपनी चौथी पीढ़ी से मिलने और अपने पूर्वजों की मिट्टी का महत्व समझते हुए। अमेरिका में रहने वाले डेविड कैनन व उनकी पत्नी अपने पूर्वजों और अपनी मिट्टी से मिलने आई इस मौके पर अपनों को पाकर एक तरफ जहां डेविड ने खुशी जाहिर की तो वहींं उनको देखकर रिश्‍तेदार भी खुशियों से झूम उठे।
अमेरिका में रहने वाले डेविड अपने पुरखों के घर की तलाश करते-करते हिंदुस्तान पहुंच गए। उनके पूर्वज गिरमिटिया मजदूर बनकर 116 साल पहले अपने वतन के परदेसी हो गए थे। एग्रीमेंट और प्रमाणों की मदद से जैसे-तैसे डेविड को अपने घर का पता मिला और वह पत्नी और बच्चों के साथ परिवार के लोगों से मिलने के लिए पहुंच गए। डेविड इस खोज अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।

बता दें कि साल 1906 में इनके पूर्वज गिरमिटिया मजदूर बनकर सबसे पहले आजमगढ़ से कोलकाता गए। कोलकाता से इन्हें पानी के जहाज से मॉरिशस ले जाया गया। डेविड के पूर्वज रामखेलावन पुत्र टहल मौर्य 21 जुलाई 1906 को गिरमिटिया मजदूर के रुप में देश से बाहर गए थे, इसके एग्रीमेंट और प्रमाण भी मौजूद हैं। इस एग्रीमेंट में रामखेलावन का पूरा अड्रेस और पता लिखा गया था, जिसकी वजह से डेविड अपने पूर्वजों तक पहुंच सके थे।

दरअसल, डेविड के परदादा रामखेलावन जब मॉरिशस पहुंचे तो उन्होंने वहीं विवाह कर लिया। इसके बाद रोजी-रोटी के चक्कर में अमेरिका चले गए। रामखेलावन की चौथी पीढ़ी अब अमेरिका में रहती है। बताया गया कि डेविड केलन की मां अमेरिका में एक डॉक्टर के यहां इलाज के लिए पहुंची थीं। डॉक्टर भी संयोग से आजमगढ़ के रहने वाले थे। बातचीत के दौरान ही उन्होंने एक-दूसरे की जानकारी ली और जब उन्हें यह पता चला कि उनके पूर्वज हिंदुस्तान के आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं, तो उनकी उत्सुकता और जागृत हुई।

डेविड के साथ आए संजय सिंह ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने में भारत से मजदूरों को मजदूरी करने के लिए खेतों में काम करने के लिए ले जाया जाता था। इसी क्रम में डेविड के पूर्वज पहले मारीशस गए। वहां से टोबैको-त्रिनिडाड गए और फिर अमेरिका जाकर बस गए। डेविड अपनी चौथी पीढ़ी को ढूंढते हुए हिंदुस्तान आए हैं, जिन्हें आज अपने पूर्वजों से मिलने का अवसर मिला है। 116 वर्ष बाद दो बिछड़े परिवार के लोग आपस में मिल रहे हैं। डेविड ने इस क्षण की उपलब्धि को अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में माना है।

इस पूरे प्रकरण में पुलिस की भी भूमिका थी
डेविड को उनके परिवार से मिलाने में स्थानीय प्रशासन और पुलिस का भी अहम रोल रहा जिन्होंने इनकी मदद कर इन्हें रिकॉर्ड मुहैया कराया और मौके पर ले जाकर अपनों से मुलाकात कराई।