दिवाली का धमाकेदार एंटरटेनमेंट, ‘ब्लैक एडम’ में ड्वेन जॉनसन और टीम का सिनेमाई करिश्मा

ब्लैक एडम रिव्यू

Movie Review
ब्लैक एडम
कलाकार
ड्वेन जॉनसन , अल्दीस हॉज , नोआ सैंटिनो , सारा शाही , मरवन केंजारी , क्विंटेसा स्विंडेल , बोधि हैबॉनगुई और पियर्स ब्रॉसनन
लेखक
एडम स्जटीकिएल , रोरी हायन्स और सोहराब नोशिरवानी
निर्देशक
जाउमे कॉलेट सेरा
निर्माता
बेयू फ्लिन , ड्वेन जॉनसन , हीरम गार्सिया और डैनी गार्सिया
रिलीज डेट
20 अक्तूबर 2022
रेटिंग
3.5/5

भारत में वैसे तो हॉलीवुड की फंतासी फिल्मों के मामले में मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स (एमसीयू) की फिल्मों का ही सबसे बड़ा फैनबेस रहा है लेकिन डीसी कॉमिक्स के कद्रदान भी यहां कम नहीं हैं। ये अलग बात है कि इन्हें रिलीज करने वाली कंपनी वार्नर ब्रदर्स ने कभी इन प्रशंसकों को एकजुट करने या इनकी दूसरों को प्रभावित कर सकने की ताकत को डिज्नी स्टूडियोज की तरह पहचाना नहीं। मार्वल कॉमिक्स और डीसी कॉमिक्स पर बनी फिल्मों के बीच अब तक एक साफ लकीर नजर आती रही है। एमसीयू की फिल्में जहां उत्साह, उल्लास और उमंग के रंगों का इंद्रधनुष बनाने की कोशिश करती रही हैं, वहीं डीसी एक्सटेंडेड यूनिवर्स (डीसीईयू) की फिल्मों के तेवर और कलेवर स्याह रहे हैं। लेकिन, न्यू मिलेनियल्स की नई सोच और नई उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए दोनों तरफ के फिल्मकार अपनी फिल्मों की दशकों से चली आ रही ये अब पहचान बदल रहे हैं। एमसीयू की फिल्मों में काला जादू, हिंसा और हॉरर आ चुके हैं तो डीसीईयू भी फिल्म ‘ब्लैक एडम’ से अपनी फिल्मों में कॉमेडी, रिश्ते और जिंदगी के चटख रंग भरने की कोशिश में हैं।

ब्लैक एडम रिव्यू

डीसीईयू का नया अध्याय शुरू
फिल्म ‘ब्लैक एडम’ एक तरह से डीसी कॉमिक्स पर बनी फिल्मों का एक नया मोड़ है। इसके लिए इस फिल्म में शीर्षक रोल करने वाले ड्वेन जॉनसन उर्फ द रॉक बीते सात-आठ साल से कोशिशें करते रहे हैं। वह फिल्म ‘ब्लैक एडम’ के निर्माताओं में भी शामिल हैं। इन फिल्मों को निर्देशक जैक स्नाइडर ने जो नई दिशा दिखाई है, उसने दुनिया भर में फैले डीसीईयू के प्रशंसकों को नजरिया बदला है। इसी नए नजरिये से देखी जाने वाली फिल्म है, ‘ब्लैक एडम’। फिल्म देखते समय लग सकता है कि इसकी कहानी के मूल तत्व कुछ कुछ ‘ब्लैक पैंथर’ और ‘वकांडा फॉरएवर’ जैसे हैं लेकिन ये जानकर सुखद आश्चर्य ही होता है कि ये सारे तत्व पहले डीसी कॉमिक्स में आए और इनका फायदा अपनी जबर्दस्त मार्केटिंग टीम के चलते मार्वल स्टूडियो ने पहले उठाया। कहानी यहां आज से पांच हजार साल पहले से शुरू होती है और आज के समय तक आती है। यहां अभेद्य तत्व इटर्नियम की खोज है। इसका उस कांदाक शहर से नाता है जो कुछ कुछ कंधार जैसे नजर आता है। कहानी का विलेन यहां  भी इस्माइल है। सहनायक समीर है और है एक मां जो अपने बेटे को बचाने के लिए मरने मारने पर उतारू हो जाती है।

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सिनेसंस्कृति में डीसी कॉमिक्स का नया रंग
फिल्म ‘ब्लैक एडम’ का एक सिरा गुलामी से जुड़ता है तो दूसरा आजादी पाने के लिए सामूहिक प्रयासों से मिलने वाले नतीजों से। एक गुलाम का बेटा खान मजदूरों को एकजुट करने में कामयाब होता है। देवता उसे अपनी अपनी शक्तियों के अंश देते हैं और उसके शरीर में इतनी बिजली समाहित हो जाती है कि वह कुछ भी कर सकता है। कहानी आज की दुनिया में आती है जहां इस बेटे की खोज से पूरे हुए एक मुकुट की तलाश में वह पूरा गिरोह लगा हुआ है जिसने कांदाक शहर पर कब्जा कर रखा है। डीसी कॉमिक्स पर बनी फिल्मों के नियमित दर्शकों को कहानी के इस सूत्र से ब्लैक एडम की कहानी समझ आ जाएगी। उसे ये नाम फिल्म के आखिर में मिलता है और जहां एंड क्रेडिट के दौरान डीसी कॉमिक्स के प्रशंसकों के लिए एक बहुत बड़ा सरप्राइज भी है। भारतीय सिनेमा बीते सौ साल से भी ज्यादा समय से एक काम करने से चूकता रहा है और वह है भारतीय सिनेमा की अपनी एक अलग संस्कृति विकसित करना। अमेरिका में जब भी फैन इवेंट होते हैं तो वहां के फिल्म प्रशंसक लोकप्रिय कहानियों के चर्चित किरदारों के रूप धरे नजर आते हैं। यहां के प्रशंसक कभी अमिताभ बच्चन, कभी मिथुन चक्रवर्ती तो कभी रजनीकांत के गेटअप अपना लेते हैं। वह सिनेमा से ज्यादा इसके कलाकारों से प्यार करते हैं और दोष इसमें मीडिया का सबसे ज्यादा है जो सिनेमा की बजाय व्यक्तिकेंद्रित लेखन ज्यादा करती है।

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सेरा और जॉनसन की बढ़िया जुगलबंद
डीसी एक्सटेंडेड यूनिवर्स की 11वीं फिल्म ‘ब्लैक एडम’ का निर्देशन उन जाउमे कॉलेट सेरा ने किया है जिनकी ‘हाउस ऑफ वैक्स’, ‘ऑरफन’, ‘द शैलोज’ और ‘जंगल क्रूज’ जैसी फिल्मों को भारत में भी खूब देखा गया है। ड्वेन जॉनसन की साथ उनकी संगत इस बार भी खूब जमी है। अगर जैक स्नाइडर डीसीईयू की फिल्मों के लिए करिश्माई दिशा निर्देशक हो सकते हैं तो ड्वेन जॉनसन की ऊर्जा और उनकी सिनेमा की समझ डीसी कॉमिक्स की फिल्मों का नया सवेरा है। फिल्म में एक संवाद भी आता है, ‘जरूरी नहीं कि सारे सुपरहीरो श्वेतवर्णीय योध्दा ही हों, कई बार इनका स्याह होना भी अच्छा होता है!’ ये बात डीसी कॉमिक्स में भी जरूर कही गई होगी और मार्वल कॉमिक्स में भी। यहां हॉकमैन पहले है, वहां ब्लैक पैंथर है। यहां साबाक है, वहां थानोस है। अच्छाई और बुराई की इस जंग के एमसीयू और डीसीईयू में गुणसूत्र एक जैसे ही हैं, बस इनका प्रस्तुतिकरण इन दोनों को अलग करता है और उस लिहाज से देखें तो फिल्म ‘ब्लैक एडम’ एमसीयू की पिछली फिल्म ‘डॉक्टर स्ट्रेंज द मल्टीवर्स ऑफ मैडनेस’ से बेहतर फिल्म है। यहां डॉक्टर फेट के मानवीय गुण उसे डॉक्टर स्ट्रेंज से बेहतर जादूगर भी बनाते हैं।

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डीसी कॉमिक्स का नया कंपास
फिल्म ‘ब्लैक एडम’ एक तरह से ड्वेन जॉनसन के करियर का भी नया अध्याय है। ‘द ममी रिटर्न्स’ में वह द रॉक के विस्तारित स्वरूप के साथ सिनेमा में आए और बीते 21 साल में उन्होंने बॉक्सिंग रिंग के अपने प्रशंसकों का विस्तार पूरी दुनिया में उससे कहीं ज्यादा कर लिया है। फास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की फिल्मों को भारत में भी जबर्दस्त कामयाबी मिली है और डीसीईयू की पिछली फिल्म ‘शैजाम’ में उनकी मौजूदगी ने आने वाले उन दिनों के संकेत भी दे दिए थे, जिनकी असली झलक अब जाकर फिल्म ‘ब्लैक एडम’ में दिखी है। ड्वेन जब कैमरे के सामने होते हैं तो उनके साथ फ्रेम में मौजूद सारे किरदार बौने दिखने लगते हैं। लेकिन, फिल्म ‘ब्लैक एडम’ के निर्देशक के साथ मिलकर ड्वेन ने अपनी फिल्मों की ये पहचान भी तोड़ी है। उनके साथ अल्दीस हॉज, नोआ सैंटिनो, मरवन केंजारी को तो कहानी में अच्छा समय मिला ही है, पियर्स ब्रॉसनन की मौजूदगी और उनका किरदार इस कहानी का असल संतुलन भी बनता है। सारा शाही एक मां के रूप में प्रभावित करने में सफल रही हैं।

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सहजीविता और सहभागिता का संदेश
मार्वेल कॉमिक्स और डीसी कॉमिक्स के सुपरहीरो किसी न किसी विध्वंस की कहानी से जन्मते हैं। ये इंसानियत पर आए खतरों को मिटाते दिखते हैं। फिल्म ‘ब्लैक एडम’ की कहानी का दूसरा सिरा भी इसी पर टिका है लेकिन ये कहानी इससे कहीं आगे की बात करती है। ये कहानी बदलते समय के साथ खुद को बदलने की सबसे बड़ी वकालत करती है। जिद करके अपने ही किरदार में आजीवन बने रहने का समय अब नहीं रहा। अब पिता को भी उतना ही बदलना जरूरी है जितना जरूरी वह अपने बेटे के किरदार मे बदलाव की अपनी जिद को मानता है। अकेले ही सब कुछ हासिल करने लेने की जिद में लगे रहने वाले नायकों को भी ये फिल्म समझाती है। टीम को साथ लेकर चलने में और उनकी बात सुनने में भी ज्यादा कठिनाई आज के दौर के नए नायकों को नहीं होनी चाहिए। सहजीविता का सिद्धांत अब सहभागिता की बात करता है। यही पुरातन विचारों से आजादी है और यही सिनेमा की आजादी की अगली उड़ान भी होगी।

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दिक्कत बस फिल्म के प्रचार-प्रसार की!
फिल्म ‘ब्लैक एडम’ की तमाम दूसरी खासियतों में इसके स्पेशल इफेक्ट्स और इसका संगीत भी शामिल है। कहानी में चौंकाने वाले तत्वों की कमी फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स पूरे करते हैं। ईसा से कोई तीन हजार साल पहले की दुनिया रचने, उस समय के लोगों की आजादी के लिए जिद और उस समय के शासकों की शैतानी ताकतों के जरिये दुनिया पर राज करने के मंसूबों का पर्दाफाश भी ये फिल्म परत दर परत करती चलती है तो इसमें इसके स्पेशल इफेक्ट्स काफी मदद करते हैं। फिल्म के संवाद कहीं कहीं बहुत धारदार हैं। लेकिन, डीसी कॉमिक्स की फिल्में देखते समय दर्शक एकाध बार से ज्यादा हंसते दिखाई दें तो समझ आता है कि ये बदलाव सुखद दिशा में जा रहा है। लॉरेंस शेर की सिनेमैटोग्राफी को जॉन ली व माइकल एल सेल के संपादन का अच्छा साथ मिला है और सोने पर सुहागा है फिल्म में लोरने बाल्फे का संगीत। सुपरहीरो फिल्मों के शौकीनों के लिए फिल्म ‘ब्लैक एडम’ अच्छा दिवाली धमाका है, बस दिक्कत यही है कि इस फिल्म को रिलीज करने वाली कंपनी वार्नर ब्रदर्स अपनी अंदरूनी राजनीति से बस अभी अभी बाहर निकली है और डिज्नी स्टूडियोज की मार्केटिंग व पीआर टीम जैसी धार इस कंपनी की टीम में आना भी बाकी है।