माता-पिता, तीन बहनों की मौत: मासूम लक्ष्य ने सुबह उठते ही ढूंढे मम्मी-पापा, दीदी को किया याद

मासूम लक्ष्य को सुबह उठते ही सबसे पहले याद आई दीदी ईशिता। उसने बुआ से पूछा कहां है दीदी। हादसे के बाद से परिवार में बचे लक्ष्य को लोगों से अलग पड़ोस के घर में बुआ मोनिका के साथ रखा गया। मासूम के इन सवालों पर बार-बार बुआ निशब्द रह गईं।

मासूम लक्ष्य।

मम्मी-पापा कहां गए हैं। दीदी कहां गई…। मासूम लक्ष्य मासूमियत से तोतली जुबान में यह सवाल बुआ व उससे मिलने वाले लोगों से पूछता रहा तो वह भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। मासूम के सवालों और उसके परिवार के पांचों सदस्यों के हमेशा के लिए चले जाने से तीन साल के बच्चे की मासूमियत हर किसी को रुला रही थी। मासूम लक्ष्य को सुबह उठते ही सबसे पहले याद आई दीदी ईशिता। उसने बुआ से पूछा कहां है दीदी। कल के हादसे के बाद से परिवार में बचे लक्ष्य को लोगों से अलग पड़ोस के घर में बुआ मोनिका के साथ रखा गया। मासूम के इन सवालों पर बार-बार बुआ निशब्द रह गईं

पहले तो समझ नहीं आया कि बच्चे के सवाल का वह क्या जवाब दें। फिर कलेजे पर पत्थर रख उसे बहलाने के लिए सिर्फ इतना कहा कि उसकी लाडली बहन शिलाई गई है। बुआ का जवाब सुनने के बाद लक्ष्य रोजमर्रा की तरह अपनी अठखेलियों में लग गया। इस बीच सुबह से ही घर में सांत्वना देने वालों का तांता लगना भी शुरू हो गया। पहले तो घरवालों को समझ नहीं आया कि मासूम को इस माहौल से कैसे दूर रखें। फिर परिजनों ने उसे इस माहौल से अलग करने के लिए साथ लगते दूसरे घर भेज दिया, जहां दिनभर बुआ मोनिका उसके साथ रही।

इस बीच सांत्वना देने पहुंचे लोग भी लक्ष्य से मिलने पहुंचते तो मासूम के सवाल भी उनकी आंखें गीली कर देते। इस दौरान मासूम का दिल बहलाने के लिए बुआ ने तमाम कोशिशें की। कभी मोबाइल देकर उसे व्यस्त रखा तो कभी कलेजे से लगाकर उसे बहन और मां-बाप का प्यार देने की कोशिश की। दोपहर को मासूम खाना खाने के बाद सो तो गया लेकिन उठने के बाद उसने फिर से अम्मा पापा व बहनों को ढूंढना शुरू कर दिया।

सभी लोग इसी सोच में डूबे रहे कि आज का दिन तो जैसे-तैसे बीत जाएगा लेकिन आने वाले दिनों में वह लक्ष्य के सवालों का कैसे सामना करेंगे। मोनिका ने बताया कि मासूम दिनभर अपनी तीनों बहनों को ढूंढता रहा। हालांकि, लक्ष्य ने किसी बात पर कोई जिद्द नहीं की लेकिन कहीं न कहीं उसकी आंखों में मां-बाप की तलाश दिख रही थीं। उसकी दीदी को शिलाई भेजने की बात इसलिए कहनी पड़ी क्योंकि ईशिता का चयन फोक डांस की ब्लॉक स्तरीय स्पर्धा के लिए हुआ था जिसे गत सोमवार को शिलाई जाना था। इसकी सारी तैयारियां रविवार की रात ही कर ली गईं थीं।

उन्होंने कहा कि लक्ष्य का अधिकतर समय अपने दादा दौलतराम और दादी मेहंदी देवी के साथ ही गुजरता है। लिहाजा, आज उसके स्व. भाई प्रदीप की आखिरी निशानी के तौर पर लक्ष्य परिवार में जीवित बचा है, जो हादसे के दिन दूसरे घर में अपने दादा-दादी के पास ही सोया था।

बता दें कि शिलाई उपमंडल के रोनहाट के समीप खिजवाड़ी गांव का लक्ष्य अपने पिता प्रदीप और माता ममता सहित अपनी तीन बहनों ईशिता (8), अलीशा (6) व ऐरंग (2)  को एक दर्दनाक हादसे में हमेशा के लिए खो चुका है। इस बीच परिजनों में इस बात की चिंता दोहरी बढ़ गई है। एक तरफ तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है, दूसरी ओर तीन साल के मासूम की जिम्मेदारी भी अब हर तरह से उनके कंधों पर आ गई है।

सात महीने की गर्भवती थी ममता

नागरिक उपमंडल शिलाई के रोनहाट उपतहसील की ग्राम पंचायत रास्त में भूस्खलन से मकान के मलबे के नीचे दबने वाली 27 वर्षीय ममता 7 महीने की गर्भवती थी। ग्राम पंचायत रास्त के पूर्व प्रधान सतपाल चौहान, हरि सिंह ठाकुर, मोहन सिंह चौहान, दलीप सिंह चौहान, रविंद्र ठाकुर, जीवन सिंह आदि लोगों ने बताया कि खिजवाड़ी गांव के समीप राकसोड़ी नामक स्थान पर मलबे के नीचे दबने से चार बच्चों सहित दंपति की मौत हो गई थी।

हादसे के दौरान मृतक ममता सात महीने की गर्भवती थी। इसलिए इस हादसे में छह नहीं, बल्कि सात लोगों की मौत हुई है। सभी लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को मिलने वाला मुआवजा छह सदस्यों का नहीं, बल्कि सात सदस्यों का दिया जाए। उन्होंने बताया कि परिवार का आखिरी वारिस लक्ष्य वर्तमान में महज तीन वर्ष का है।

इतनी छोटी उम्र में उसके सिर से मां-बाप सहित तीन बहनों का साया उठ गया है। ऐसे में परिवार के आखिरी चिराग को उसके मां के कोख में पल रहे बच्चे की मौत का भी मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और सरकार से पीड़ित परिवार को जल्द मुआवजा राशि जारी करने का आग्रह किया है।