Death road: साइरस मिस्त्री ही नहीं 60 से अधिक जानें ले चुका है मुंबई-अहमदाबाद हाईवे का यह हिस्सा, रोजाना होता है एक हादसा

टाटा संस (Tata Sons) के चेयरमैन रहे साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) की चार सितंबर को एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उनकी कार मुंबई-अहमदाबाद हाईवे (Mumbai-Ahmedabad Highway) पर दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। हाईवे का यह हिस्सा जानलेवा साबित हुआ है। इस साल इसमें 260 से अधिक हादसे हो चुके हैं।

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नई दिल्ली: टाटा संस (Tata Sons) के चेयरमैन रहे साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) की हाल में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इस घटना ने देश में सड़कों की बदहाली को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया। मिस्त्री का कार मुंबई-अहमदाबाद हाईवे (Mumbai-Ahmedabad Highway) पर महाराष्ट्र के पालघर में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। पुलिस के मुताबिक इस हाईवे पर घोड़बंदर और पालघर जिले के दापचारी के बीच का 100 किलोमीटर का हिस्सा जानलेवा साबित हुआ है। इस साल इस रूट पर 262 दुर्घटनाएं हुई हैं। इनमें 62 लोगों की मौत हुई है जबकि 192 लोग घायल हुए हैं। इनमें अधिकांश हादसे तेज रफ्तार के कारण हुए हैं। लेकिन सड़कों की बदहाली, रखरखाव के अभाव और ड्राइवरों के लिए साइनबोर्ड की कमी भी दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।

महाराष्ट्र हाईवे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मिस्त्री की कार चार सितंबर को चरोटी के करीब दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। इस इलाके में इस साल अब तक 25 गंभीर हादसों में 26 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि चिंचोटी के पास वाले हिस्से में इसी अवधि में 35 गंभीर हादसों में 25 लोगों की मौत हो चुकी है। साथ ही इससे सटे मानोर इलाके में 10 हादसों में 11 लोगों की जान गई है। अधिकारी ने कहा कि हादसों के मामले में चरोटी और मुंबई की तरफ करीब 500 मीटर का हिस्सा काफी खतरनाक है।


रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी?

उन्होंने बताया कि मुंबई की ओर जाते समय सड़क सूर्य नदी के पुल से पहले मुड़ती है और तीन लेन का मार्ग दो लेन में तब्दील हो जाता है। लेकिन ड्राइवर्स को इस बारे में पहले से सूचित करने के लिए सड़क पर कोई साइनबोर्ड नहीं है। पालघर में सूर्य नदी पर बने एक पुल के डिवाइडर से कार टकराने के बाद साइरस मिस्त्री और उनके मित्र जहांगीर पंडोले की मौत हो गई थी।

महाराष्ट्र हाईवे पुलिस के अधिकारी ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाईवे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के दायरे में आता है। लेकिन टोल वसूलने वाली निजी एजेंसी के पास रखरखाव की जिम्मेदारी है। दिशा-निर्देशों के तहत हाईवे पर हर 30 किमी पर एक एम्बुलेंस को तैयार रखा जाना चाहिए। साथ ही एक क्रेन एवं गश्त करने वाले वाहन भी होने चाहिए। लेकिन देश की अधिकांश हाईवे पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

सड़कें खस्ताहाल
जब देश के दो बड़े शहरों मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ने वाली सड़क की यह हालत है तो देश के दूसरे इलाकों में सड़कों की बदहाली का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। देश की इकॉनमी के लिए सड़कों की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि देश का दो-तिहाई से अधिक सामान ट्रांसपोर्ट सड़क से होता है। लेकिन नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल देश में सड़क दुर्घटनाओं में रेकॉर्ड 1.55 लाख से अधिक लोग मारे गए। रोजाना 426 यानी हर घंटे 18 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।

बेशक, भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा रोड नेटवर्क बना लिया है। लेकिन, इसके रखरखाव पर बहुत ध्‍यान नहीं दिया जाता है। कंस्‍ट्रक्‍शन में धांधली पर भी सवाल खड़े होते हैं। भारत ने 58.9 लाख क‍िलोमीटर का रोड नेटवर्क बना लिया है। यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा सड़कों का जाल है। लेकिन घटिया निर्माण और खराब मेंटनेंस के कारण अधिकांश सड़कों की बुरी हालत है। कोरोना महामारी से पहले देश में हर चार मिनट में एक भयानक सड़क हादसा होता था। भारत में दुनिया की सिर्फ एक फीसदी गाड़ियां हैं लेकिन सड़क हादसों में दुनिया में होने वाली कुल मौतों में 11 फीसदी भारत में होती हैं।