Road Accidents In Delhi: दिल्ली के टॉप 10 क्रैश रोड में सबसे ज्यादा आउटर रिंग रोड में 95 तो रिंग रोड में 85 मौतें हुई। इसकी वजह दोनों रोड का सबसे लंबा होना है। इसी तरह टॉप-10 ब्लैक स्पॉट में सामने आए हैं।
नई दिल्ली: राजधानी की सड़कों में हादसों में होने वाली मौतों में 2020 की तुलना में 2021 में 3.6 फीसदी इजाफा हुआ है। एक्सिडेंट्स में भी 13 फीसदी बढ़ोतरी हुई। दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने शुक्रवार को दिल्ली रोड क्रैश रिपोर्ट 2021 को जारी किया। इसके मुताबिक, 2021 में दिल्ली में कुल 4720 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1239 लोगों की मौत हुई और 4273 जख्मी हुई। सबसे ज्यादा 40.7 फीसदी पैदल चलने वालों की मौत हुई है। दूसरे नंबर पर 38.1 पर्सेंट टू-वीलर वाले शिकार बने। रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 में सबसे ज्यादा 176 लोग कार या टैक्सी की चपेट में आकर मरे, जो कुल मरने वालों का 15 पर्सेंट है। इसके बार भारी वाहनों के शिकार 145 लोग बने, जो 12 फीसदी बैठता है। चौंकाने वाला आंकड़ा ये है कि 645 लोगों की मौत रात के समय हुई, जबकि तब गाड़ियां कम चलती हैं। दिन के समय 561 मौतें हुईं। रोज शाम को 7:00 बजे से रात 2:00 बजे तक मरने वालों की तादाद ज्यादा रही, क्योंकि तब कमर्शल गाड़ियों की नो एंट्री खुल जाती है।
सड़क हादसों की चपेट में आए 22.5 फीसदी लोगों की मौत हुई, जबकि ये आंकड़ा 2020 में 24.6 फीसदी रहा था। पैदल चलने वालों की 2020 में 505 की मौत हुई थी और 1241 घायल हुए थे, जबकि 2021 में 504 मरे और 1536 जख्मी हुए। दूसरे नंबर पर टू-वीलर सवार शिकार बने हैं, जिनकी तादाद 2021 में 459 थी तो 2020 में 432 रही। अनजान गाड़ियों की टक्कर से 212 टू-वीलर सवार मारे गए, जो 2020 में 243 थे। खुद टकराने वाले 2021 में 86 रहे तो 2020 में 91 थे।
क्लस्टर बस की चपेट में आकर 2021 में 29 लोगों की मौत हुई, जिसका आंकड़ा 2020 में 20 तो 2019 में 23 था। डीटीसी बस से 2021 में 17, 2020 में 19 तो 2019 में 20 लोगों की मौत हुई। सामान ले जाने वाली गाड़ियों से 2021 में 142 लोग कुचले गए थे, जबकि 2020 में 104 और 2019 में 165 शिकार बने। मिनी बस से 2021 में 7 और 2020 में 5 की मौत हुई। प्राइवेट कार सबसे ज्यादा प्राणघातक रही, जिसने 2021 में 168, 2020 में 146 और 2019 में 202 लोगों को कुचला। टू-वीलर से 2021 में 114 तो 2020 में 126 लोग मरे।
दिल्ली में सड़क हादसों में संडे के दिन सबसे अधिक लोगों की गईं जानें
आमतौर पर माना जाता है कि रविवार को छुट्टी के दिन सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ कम होती है, लेकिन पिछले साल रविवार के ही दिन सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि दुर्घटनाओं में सबसे अधिक घायल मंगलवार को हुए। इसी तरह टाइमिंग के मामले में सबसे अधिक जानलेवा एक्सीडेंट रात 11 से 12 बजे के बीच हुए।
2021 में हुई सड़क दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने के बाद तैयार की गई दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में पिछले साल सबसे अधिक जानलेवा एक्सीडेंट रविवार के दिन हुए। रविवार को ऐसी 191 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें एक या उससे अधिक लोगों की जान गई। सबसे कम जानलेवा 152 एक्सीडेंट मंगलवार को हुए। लेकिन मंगलवार को सबसे अधिक 563 ऐसे एक्सीडेंट हुए, जिनमें लोग घायल हुए।
रात के हादसे अधिक होते हैं जानलेवा
ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि अपेक्षाकृत रात के वक्त ऐसे अधिक एक्सीडेंट होते हैं, जिनमें लोगों की मौत हो जाती है। 2021 में रात के वक्त 645 ऐसे एक्सीडेंट हुए, जिनमें लोगों की जान गई। जबकि दिन में ऐसे एक्सीडेंट का आंकड़ा 561 रहा। महत्वपूर्ण है कि दिन में ऐसे एक्सीडेंट अधिक हुए, जिनमें 2098 लोग घायल हुए।
रात 11 से 12 बजे का समय खतरनाक
ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक रात को 11 से 12 बजे के बीच ऐसा वक्त रहा, जब 24 घंटों में सबसे अधिक जानलेवा एक्सीडेंट हुए। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि इसकी एक वजह यह है कि रात को ही बड़ी गाड़ियों के लिए नो एंट्री खुल जाती है। उस वक्त सड़कों पर इनकी संख्या अचानक बढ़ती है और उसी दौरान एक्सीडेंट बढ़ते हैं। पुलिस का कहना है कि पिछले साल रात 11 से 12 बजे के बीच 123 ऐसी दुर्घटनाएं हुईं। जिनकी वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसी तरह महीने के आधार पर भी दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया गया है। मार्च में सबसे अधिक 122 और सबसे कम मई में 69 ऐसे एक्सीडेंट हुए। जिनमें सड़कों पर लोगों की जान गई।
सबसे ज्यादा मौतें वेस्ट में तो नई दिल्ली की सड़के सबसे सेफ
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का मानना है कि राजधानी की अनुमानित आबादी 2021 में करीब 2 करोड़ 3 लाख 41 हजार 192 थी। इससे जनसंख्या घनत्व 13 हजार 716 से ज्यादा व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर निकलता है। इसी हिसाब से दिल्ली में हर दो व्यक्तियों पर एक गाड़ी के करीब है। राजधानी में 2021 में कुल 1 करोड़ 22 लाख 53 हजार गाड़ियां रजिस्टर्ड थीं, जिनमें 3 लाख 60 हजार 2021 में हुई थीं। इस सबके बीच सबसे ज्यादा सड़क हादसे 2021 में वेस्ट जिले (648) में हुए थे, जबकि सबसे कम नई दिल्ली जिले (136) में सामने आए।
नॉर्थ वेस्ट जिले में 580, साउथ ईस्ट में 533 और आउटर जिले में 488 सड़क हादसे रिपोर्ट हुए। वेस्ट जिला 2020 में भी 609 हादसों के साथ टॉप पर रहा था। मौत के मामले में भी 2021 में वेस्ट जिला (187) शीर्ष पर रहा। इसी तरह बुराड़ी में सबसे ज्यादा 80, नजफगढ़ में 58, बवाना में 52, मंगोलपुरी में 49 और नांगलोई में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में राजधानी के 87 क्रैश प्रोन जोन की पहचान की गई है, जिनके 500 मीटर के दायरे में 3 या उससे ज्यादा मौतें हुईं। इनमें आउटर रिंग रोड (18), रिंग रोड़ (14), जीटी करनाल रोड (8), वजीराबाद रोड (6) और एनएच-24 (5) दूसरों से ज्यादा खतरनाक रहे।
दिल्ली के टॉप 10 क्रैश रोड में सबसे ज्यादा आउटर रिंग रोड में 95 तो रिंग रोड में 85 मौतें हुई। इसकी वजह दोनों रोड का सबसे लंबा होना है। इसी तरह टॉप-10 ब्लैक स्पॉट में सामने आए हैं। इनमें भलस्वा चौक (8 मौत), पंजाबी बाग चौक (7), मुकरबा चौक (7), जखीरा फ्लाईओवर (6), लिबासपुर बस स्टैंड (6), मुकुंदपुर चौक (6), मोती बाग फ्लाईओवर (5), नंगली पूना (5), सिरसपुर (5 और शास्त्री पार्क-आईटी पार्क (4 मौत) शामिल हैं।